Thursday, March 13, 2025

होलिका दहन में लकडी के स्थान पर गोबर से निर्मित उत्पादों का करें प्रयोग :- जिलाधिकारी मनीष बंसल 

सहारनपुर। जिलाधिकारी मनीष बंसल ने होली पर्व के अवसर पर होलिका दहन हेतु गो आश्रय स्थलों में गाय के गोबर से निर्मित विभिन्न उत्पादों का प्रयोग किए जाने के संबंध में कहा कि होली का पर्व सामाजिक समरसता, हर्ष उल्लास एंव जीवन के विभिन्न रंगों, सुख तथा समृद्धि का प्रतीक है। गाय हमारी रीति रिवाज और संस्कृति का अभिन्न अंग है। गाय के गोबर तथा दूध का उपयोग सभी मांगलिक कार्यों में किया जाता है।

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विदित है कि होलिका पर्व के दौरान होलिका दहन में भारी मात्रा में लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिसके फलस्वरूप वृक्षों से लकड़ी की कटाई किये जाने से पर्यावरण भी प्रभावित होता है। होली के दौरान गोबर के उत्पादों का प्रयोग किये जाने से वृक्षों का कटान कम होगा, पर्यावरण सुरक्षित होगा तथा प्रदूषण भी नियंत्रित हो सकेगा, इसके साथ-साथ गो आश्रय स्थलों को अतिरिक्त आय होगी। डीएम मनीष बंसल ने कहा कि आगामी होली के पर्व पर होलिका दहन में लकड़ी के स्थान पर अधिक से अधिक मात्रा में गोबर से बने हुए विभिन्न उत्पादों का प्रयोग किया जाए। गो आश्रय स्थलों में उत्पादित गोबर से गोबर के उपले तथा गोबर लॉग तैयार किये जा रहे हैं, जिनकी बिक्री से गो आश्रय स्थलों को अतिरिक आर्थिक संसाधन उपलब्ध हो रहा है।

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जनपद के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में चिन्हित स्थानों पर परंपरागत तरीके से होलिका दहन किया जाता है, जिससे लकड़ी के साथ-साथ गाय के गोबर से तैयार बलगोरियों/बल्ले तथा उपले होलिका में डाले जाते हैं। आगामी होली पर्व पर लकड़ी के स्थान पर अधिक से अधिक गाय के गोबर से तैयार उपलों तथा गोबर लॉग का प्रयोग किये जाने हेतु विशेष प्रयास किए जाएं। होली पर्व के दृष्टिगत गो आश्रय स्थलों में उपलब्ध गोबर से गोबर के कंडे तथा गोबर लॉग का उत्पादन स्वयं सहायता समूहों की मदद से किया जाए।

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होली के पर्व एवं होलिका दहन से संबंधित आयोजन समितियों से मिलकर गोबर से तैयार बलगोरियों/बल्ले, उपले तथा गोलॉग उत्पादों को गो आश्रय स्थलों से क्रय किये जाने हेतु उन्हें प्रेरित किया जाए। गाय के गोबर से तैयार गोकास्ट लकड़ी की तुलना में सस्ता होता है। इन उत्पादों की बिक्री गो आश्रय स्थलों, स्वयं सहायता समूह बिक्री केन्द्र, कृषि, डेयरी तथा खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के विभिन्न आउटलेट्स से की जा सकती है। होली के पर्व पर गो आश्रय स्थलों के आर्थिक स्वावलंबन हेतु इन प्रयासों में सबंधित समन्वयकारी विभाग यथा पशुपालन विभाग, राजस्व विभाग, पंचायतीराज विभाग, नगर विकास विभाग, ग्राम्य विकास विभाग एवं गृह विभाग द्वारा समेकित प्रयास किये जाएं।

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