Tuesday, January 7, 2025

उत्तर प्रदेश ने मारी बाजी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान और इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल 6.50 लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई।

 

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यह रिकॉर्ड है। दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण और इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों के लिए 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था।

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उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डॉक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डॉक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिन्हित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख और राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया गया।

 

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राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान और दस्तक अभियान चलाए गए। इससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त सौ दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है, जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले और प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है। टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डॉक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर और झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है।

 

 

लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गाजियाबाद में भी प्राइवेट डॉक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं। लेकिन, श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरबीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डॉक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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