यूपी भाजपा के नए अध्यक्ष का नाम तय, 14 दिसंबर को लखनऊ में पीयूष गोयल करेंगे ऐलान
ओबीसी वर्ग से ही होगा नया अध्यक्ष; पीएम मोदी से हुई भूपेंद्र चौधरी की 35 मिनट मुलाकात
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर महीनों से चल रही अटकलें अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में हुई शीर्ष नेतृत्व की बैठक में नाम फाइनल कर लिया गया है, बस औपचारिक ऐलान होना बाकी है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन हेतु केंद्रीय चुनाव अधिकारी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा 14 दिसंबर, रविवार को लखनऊ में चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण कर प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन सम्पन्न कराया जाएगा और नाम का ऐलान किया जाएगा। पार्टी ने सभी प्रांतीय परिषद सदस्यों को 12 दिसंबर, शुक्रवार को ही लखनऊ पहुंचने का फरमान जारी कर दिया गया है।
नए अध्यक्ष की जाति पर अटकलें
सियासी हल्के में चर्चा है कि नया प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी या ब्राह्मण वर्ग से होगा, हालांकि सूत्रों का कहना है कि नए यूपी अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से ही होंगे।
रेस में प्रमुख चेहरे:
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ओबीसी वर्ग (प्रबल दावेदार): उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, बीएल वर्मा और यूपी सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद।
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ब्राह्मण वर्ग: राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के नाम पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
पीएम मोदी से भूपेंद्र चौधरी की मुलाकात
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पिछले तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। उन्होंने कई नेताओं से मुलाकात की। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी करीब 35 मिनट मुलाकात चली। चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया और दोनों के बीच प्रदेश की मौजूदा और आगे की राजनीति को लेकर विभिन्न विषयों पर बातचीत हुई।
निर्वाचन प्रक्रिया पूरी
प्रदेश अध्यक्ष चुनने की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत, प्रांतीय परिषद के सदस्यों की घोषणा हो चुकी है। यह वही परिषद है जिसके लगभग 400 सदस्य प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए 50 प्रतिशत से अधिक जिलाध्यक्षों का चयन जरूरी था, जबकि वर्तमान में 86 प्रतिशत जिलाध्यक्षों का चयन हो चुका है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में कोई तकनीकी बाधा नहीं है।
यूं तो भाजपा में परंपरागत रूप से अध्यक्ष का चयन आमतौर पर सर्वसम्मति से होता है, लेकिन नामांकन, जांच और नाम वापसी की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी निभाई जाएगी।सूत्रों के मुताबिक शीर्ष नेतृत्व ने ओबीसी वर्ग से ही नया चेहरा चुनने का मन बना लिया है। यह निर्णय केवल संगठन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आगामी लोकसभा चुनाव और प्रदेश की जटिल जातिगत राजनीति को साधने की भाजपा की रणनीति का एक अहम हिस्सा है।
भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में सत्ता और चुनावी सफलता की कुंजी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मतदाताओं के पास है। यह वर्ग प्रदेश की कुल आबादी का बड़ा हिस्सा है। भाजपा, विशेष रूप से गैर-यादव ओबीसी (Non-Yadav OBC) को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने की रणनीति पर काम कर रही है। निवर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी स्वयं एक जाट नेता (ओबीसी श्रेणी में शामिल) थे, और उनकी जगह भी इसी वर्ग के नेता को लाना एक मजबूत संकेत है कि पार्टी ओबीसी समीकरण को भंग नहीं करना चाहती।
शीर्ष नेतृत्व 16 दिसंबर को खरमास शुरू होने से पहले अध्यक्ष का चुनाव संपन्न करा लेना चाहता है। यह समय सीमा यह भी दर्शाती है कि पार्टी बिना किसी देरी के चुनावी मोड में आना चाहती है। केंद्रीय चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल की उपस्थिति में 14 दिसंबर को होने वाला ऐलान इस बात की पुष्टि करता है कि यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है और इसका सीधा संबंध आगामी चुनावी चुनौतियों से है।
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