मनरेगा सरकारी योजना नहीं, काम का संवैधानिक अधिकार: साधना
मेरठ। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने कांग्रेस कार्यालय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी समन्वयक के रूप में उपस्थित रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने केंद्र की मोदी सरकार पर ग्रामीण भारत, मजदूर वर्ग और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ सुनियोजित हमले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने “सुधार” के नाम पर ऐसे निर्णय लिए हैं, जिनसे मनरेगा जैसी ऐतिहासिक रोजगार गारंटी योजना को लगभग समाप्त करने की दिशा में धकेल दिया गया है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने कहा कि मनरेगा केवल एक कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और काम के अधिकार से जुड़ा कानूनी अधिकार है। यह महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज, श्रम की गरिमा और विकेन्द्रीकृत विकास की अवधारणा का व्यावहारिक स्वरूप है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पहले इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया, फिर बजट में लगातार कटौती की, राज्यों के वैधानिक बकाये रोके और अब एक नया ढांचा लाकर मनरेगा को अधिकार आधारित व्यवस्था से हटाकर केंद्र-नियंत्रित, शर्तों वाली स्कीम में बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मनरेगा को “कांग्रेस की विफलता का स्मारक” बता चुके हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने कहा कि 2014 के बाद से मोदी सरकार ने व्यवस्थित रूप से
मनरेगा के बजट में कटौती की, राज्यों को समय पर भुगतान नहीं किया, लाखों जॉब कार्ड हटाए।
आधार आधारित भुगतान को अनिवार्य कर लगभग 7 करोड़ मजदूरों को योजना से बाहर कर दिया।
उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले पाँच वर्षों में मनरेगा औसतन केवल 50–55 दिन का रोजगार देने तक सीमित रह गई है, जबकि यह 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी थी।
राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने कहा कि पहले मनरेगा 100 प्रतिशत केंद्र पोषित योजना थी, लेकिन अब मोदी सरकार लगभग 50 हजार करोड़ रुपये या उससे अधिक का खर्च राज्यों पर डालना चाहती है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि ग्राम सभाओं और पंचायतों के अधिकारों को समाप्त कर उन्हें डिजिटल डैशबोर्ड, GIS मैपिंग, बायोमेट्रिक सत्यापन, एल्गोरिदमिक निगरानी के हवाले किया जा रहा है। इससे स्थानीय जरूरतों की अनदेखी हो रही है और तकनीकी खामियों के नाम पर गरीब मजदूरों को योजना से बाहर किया जा रहा है।
नेशनल हेराल्ड मामले में न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यवाही को खारिज किए जाने को मोदी-शाह सरकार की राजनीति की बड़ी नैतिक और कानूनी हार बताया।
इस मौके पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी, महानगर अध्यक्ष रंजन शर्मा, एआईसीसी कॉर्डिनेटर हेमन्त प्रधान, रमनकांत शर्मा, यासिर सैफी, राकेश कुशवाहा, आमिर रज़ा, तरुण शर्मा, अरुण कौशिक, इरशाद, विजय चिकारा आदि मौजूद रहे।
