मनुष्य सामाजिक प्राणी है। आस पास के खुशनुमा वातावरण से वह बहुत खुश होता है। कभी-कभी वातावरण उदास या चुपचाप हो तो मनुष्य शीघ्र उदास हो जाता है। ऐसे कुछ क्षण कई बार जिंदगी में आते हैं जब कभी किसी ने कुछ कह दिया या आसपास कुछ बुरा देख लिया, अपनी इच्छा की पूर्ति न होने पर भी मन उदासी और खीझ से भर उठता है।
उदास मन लिए आप कब तक बैठी रहेंगी। इसके लिए कुछ न कुछ तो करना होगा सामान्य होने के लिए। आइए देखें कि स्वयं को और आस-पास के वातावरण से उदासी को कैसे दूर किया जाये।
उदासी में पुस्तकें अच्छी मित्र होती हैं। जिन पुस्तकों को बहुत दिनों से पढऩे के लिए समय न मिला हो, उन्हें पढ़ कर मन और दिमाग हल्का कर सकती हैं।
अपनी डायरी में उदासी के कारण को लिखें और पुराने अच्छे बिताए हुए समय की बातों को पढ़कर स्वयं को प्रसन्न रखने का प्रयास करें।
परेशानी के कारणों को ढूंढे और एकान्त में उन पर विचार करें। परेशानियों को अधिक तूल न दें। कुछ परेशानियां समयानुसार ठीक हो जाती हैं। कुछ को प्रयास कर दूर किया जा सकता है। सदा एक सा समय नहीं रहता।
अकेले मत रहें। परिवार या मित्रों के बीच रहने से उदासी के पल खुशी में बदलने में आसानी रहती है।
जब आप उदास हैं तो जल्दी या गुस्से में आकर कोई फैसला न करें। ऐसे में किया गया फैसला अधिकतर गलत साबित होता है। घर के बचे हुए कामों को निपटाएं। स्वयं को व्यस्त रखने से उदासी को अधिक समय नहीं मिलेगा आपके पास रहने के लिए। टी. वी. पर हास्य फिल्में देखें।
अपनी पसंद का म्यूजिक सुनकर भी स्वयं को उदासी के दायरे से दूर रख सकती हैं।
कभी-कभी थोड़ा रोकर या अकेले से बातें करके भी मन का बोझ हल्का किया जा सकता है।
हर किसी के आगे अपने उदास होने का कारण न खोलें। कभी-कभी हमदर्दी की जगह परिहास भी झेलना पड़ सकता है। दिल का हाल किसी विशेष व्यक्ति के आगे ही रखें।
सबसे अच्छा है स्वयं पर नियंत्रण रखना। समय और हालात बदलने पर सब ठीक हो जाता है। सब्र का फल हमेशा मीठा होता है। इस बात को ध्यान में रखें।
– नीतू गुप्ता