हम जीवन के आरम्भिक काल से लेकर अंत तक किसी न किसी प्रकार के संघर्ष के दौरे से गुजर रहे होते हैं। ऐसे में हमारे अन्तर्मन में तमाम प्रकार के नकारात्मक विचार भी प्रबलता से अपना स्थान बनाते जाते हैं, जो कुछ समय पश्चात एक स्थायी पैठ बना लेते हैं, जो हमारे जीवन में हर मोड़ पर बाधा बनकर खड़े हो जाते हैं।
जीवन के प्रत्येक मोड़ पर कठिन परिस्थितियों का सामना यदि हम अपनी नकारात्मक सोच और दृष्टिकोण को हटाकर करे तो वास्तव में हमारी सफलता हर ऊंची सीमा तक बढ़ जायेगी। इसी संदर्भ में एक बार विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि निराशावादी व्यक्ति को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है, वहीं एक आशावादी व्यक्ति को हर कठिनाई में अवसर दिखता है।
वास्तव में सकारात्मक सोच ही सफलता की मूल आधारशिला होती है, क्योंकि इस पर आगे मनुष्य के अंदर संघर्ष, धैर्य और प्रेरणा जैसे भाव और गुण विकसित होते हैं, जो संकल्प के भाव को जगाते हैं। सकारात्मक दृष्टि मनुष्य के भीतर आशा को जन्म देती है, जिससे वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने अन्दर छिपी प्रतिभा को उकेरता है।