नि:संदेह जीवन क्षणिक है, परन्तु क्षणिक जीवन को हम प्रेम के प्रकाश से प्रकाशित कर सकते हैं। इस छोटे से जीवन में हम प्रेम के माध्यम से समस्त ब्रह्मांड को अपना बना सकते हैं। जीवन क्षणिक है, पर श्रद्धा की सुगन्ध से इस जीवन और जगत को हम सुगन्धित बना सकते हैं।
जीवन क्षणिक है पर सत्य के संगीत पर हम ऐसा गीत गा सकते हैं कि उसमें सृष्टि का कण-कण उद्धीत बन उठें। नि:संदेह जीवन क्षणिक है पर क्षणिक होकर भी महिमामय है यह जीवन क्योंकि इसी जीवन से हम महा जीवन में प्रवेश कर सकते हैं, पर यह सतत स्मरणीय है कि परमात्मा के साम्राज्य में केवल और केवल उसी को प्रवेश मिलता है, जो जीवन को प्रकाश, सुगन्ध और सत्य के संगीत से सम्पन्न बनाता है, जो व्यक्ति कूड़े और गन्दगी से जीवन के कक्ष को भरेंगे वे परमात्मा द्वारा ठुकरा दिये जायेंगे।
वह कूडा और गन्दगी हैं (लोभ, द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, कपट और असत्य आचरण) इसलिए सदैव ऐसे शुभ कर्म करें, जिससे समाज का हित हो, किसी का भी अहित न हो, फलस्वरूप आपको समाज का प्यार और सम्मान इस लोक में प्राप्त हो, साथ ही परलोक भी सुधरे।