मथुरा। मथुरा जिले में जिस प्रकार से नगर निकाय 150 वर्ष पुरानी है, उसी प्रकार निकाय चुनावों की घोषणा होने पर होलीगेट पर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है। होलीगेट स्थल मथुरा जिले का हृदयस्थल भी माना जाता है। इस होली गेट को अंग्रेज शासन काल में मथुरा के कलेक्टर रहे ब्रड फोर्ड हार्डिंग ने बनवाया था। इसका पहला नाम हार्डिंग गेट पड़ा, जो समय के अनुसार परिवर्तित होते होते होलीगेट हो गया।
मथुरा में एक ऐसी जगह भी है जो राजनीति का केंद्र आजादी के साथ से रहा है। शहर का हृदय स्थल होली गेट अपने महत्व के लिए जाना जाता है तो इसके साथ यहां हर चुनाव में राजनीतिक चर्चाएं भी होती हैं। होली गेट मथुरा की पहचान है। इस होली गेट को अंग्रेज शासन काल में मथुरा के कलेक्टर रहे ब्रड फोर्ड हार्डिंग ने बनवाया था। इसका पहला नाम हार्डिंग गेट पड़ा। जो समय के अनुसार परिवर्तित होते होते होली गेट हो गया। होली गेट का नक्शा मथुरा नगर पालिका के तत्कालीन इंजीनियर यूसुफ ने बनाया था। इसके ऊपर छतरी नुमा गुंबद क्यूपोला बनाई गई। ऊपरी हिस्से में ही चार हवादार बरसाती छतरी बनाई गई। इसके 1875 में हुए निर्माण में दो दुकानों सहित 13 हजार 731 रुपए का खर्च आया था। तत्कालीन कलेक्टर हार्डिंग ने शहर में चार दरवाजे बनाने का प्रस्ताव तैयार किया। जिसमें भरतपुर दरवाजा,डीग दरवाजा,वृंदावन दरवाजा और होली दरवाजा। समय के साथ साथ भरतपुर दरवाजा, डीग दरवाजा और वृंदावन दरवाजा तो विलुप्त हो गए लेकिन होली दरवाजा आज भी शहर की पहचान बनाए हुए सीना तान खड़ा है।
आजादी के बाद होली गेट का नाम तीन बार बदला। पहले इसका नाम तत्कालीन कलेक्टर हार्डिंग के नाम पर हार्डिंग गेट था। इसके बाद 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के साथ ही इसका नाम बदलकर लोक मान्य तिलक के नाम पर तिलक दरवाजा रख दिया गया। जिसका शिलालेख आज भी इसके ऊपर लगा हुआ है। लेकिन यहां शहर की होली जलती थी। इसलिए लोग इसे होली गेट कहने लगे और वही पहचान आज भी है।
होली गेट न केवल मथुरा की पहचान है बल्कि राजनीति का केंद्र भी है। मथुरा में जब भी चुनाव होते हैं यहां चर्चा शुरू हो जाती है। वर्तमान में निकाय चुनाव की घोषणा हुई है। इसके साथ ही यहां चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। यहां इस समय मथुरा वृंदावन नगर निगम में मेयर पद के लिए किस पार्टी से किसे टिकट मिलेगी इस पर चर्चा चल रही है। मथुरा की राजनीति और राजनेताओं को समझना है तो एक बार होली गेट पर जरूर पहुंचे। यहां हर दल और उनके नेताओं के बारे में कोई न कोई चर्चा करता हुआ मिल जायेगा।
होली गेट के नीचे करीब 40 वर्षों से छोटी सी दुकान लेकर बैठे समाजसेवी और जानकार मदन मोहन श्रीवास्तव बताते हैं कि जब भी चुनाव आते है या कोई बड़ी राजनीतिक हलचल होती है यहां जरूर चर्चा होती है। क्योंकि हर राजनीतिक दल से जुड़ा व्यक्ति द्वारिकाधीश दर्शन करने, यमुना जी जाने या फिर चाय पीने और पान खाने के लिए जरूर आता है। होली गेट पर इन दिनों नगर निगम मेयर पद के लिए किस पार्टी से किस को टिकट मिल सकती है इसको लेकर चर्चा चल रही है। मदन मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि इन दिनों केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है इसलिए हर व्यक्ति की दिलचस्पी है कि भाजपा इस बार मेयर पद के लिए किसे प्रत्याशी बना रही है।
होली गेट के सामने बना है कांग्रेस कार्यालय, होलीगेट पर ही होते है धरना प्रदर्शन
होली गेट राजनीतिक नजरिए से कितना महत्वपूर्ण है इसका प्रमाण है इसके सामने बना कांग्रेस कार्यालय। कांग्रेस ने होली गेट के महत्व को देखते हुए पार्टी कार्यालय इसी के सामने बनाया। यहां आज भी पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक होती है। इसके अलावा किसी दल का धरना,प्रदर्शन हो वह होली गेट पर ही होता है।