सच्चा मानव कौन ? सच्चा मान वह है जो नि:स्वार्थ भाव से जन कल्याण के कार्य स्वयं करते हैं तथा दूसरो को भी ऐसे पुण्य कार्यों को करने की प्रेरणा भी देते रहते हैं। वे संसार का अन्धकार दूर करने के लिए आशा की किरण बनते हैं। वें धरती के लिए वरदान सिद्ध होते हैं। मानव को पग-पग पर यह बात समझायी जाती है कि सबकी भलाई में ही हमारी भलाई छिपी है, परन्तु आज के इंसान के नैतिकता का स्तर दिनों दिन नीचे जा रहा है।
वह दूसरों का भला करने के सापेक्ष दूसरों की हानि में ही रस ले रहा है। दूसरे की हानि करके ही उसे आत्मिक प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसे इंसानों के लिए यही संदेश है कि तू यदि किसी का भला नहीं कर सकता, किसी के कष्ट दूर करने का हेतु नहीं बन सकता तो मानवता पर एक उपकार तो कर दे कि वह किसी को हानि पहुंचाने का विचार ही मन में न लाये।
दूसरे की हानि को अपने सुख संतोष का हेतु न बना। अपने आपको सम्भाल लें, ऐसी मानसिकता में अपने को ढाल ले, जिससे तेरा खामोश रहना ही किसी की भलाई का कारण बन जाये, दूसरों के लिए शुभकामनाएं और शुभ भावनाएं तो रखकर देख तुम्हें कितना आत्मिक सुख और आनन्द प्राप्त होगा और प्रभु की कृपा तुम पर बरसने लगेगी।