गाजियाबाद। पर्यावरण प्रेमी साफ्टवेयर इंजीनियर युवक ने अपनी शादी में अनोखी मिसाल कायम की है। इंजीनियर सुरविंदर बैलगाड़ी से बारात लेकर दूल्हन के घर पहुंचा और उसी में बैठाकर दुल्हन को विदा करा लाया। इस अनोखी शादी मेूं ना तो बैंड-बाजा था, ना डीजे का शोर। इंजीनियर की शादी में बाराती भी बैलगाड़ियों में सवार थे। शादी में सात फेरे के दौरान दूल्हा-दुल्हन ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
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दहेज में लिए 11 हजार पौधे
साफ्टवेयर इंजीनियर सुरविंदर ने दहेज के रूप 11 हजार पौधे लिए और एक गांव को सामाजिक और पर्यावरणीय विकास के लिए गोद लेने का संकल्प लिया। शादी की खास बात थी कि इसमें किसी भी प्रकार के वाहन का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया।
दुल्हन की विदाई से पहले रक्तदान शिविर
साफ्टवेयर इंजीनियर दूल्हे ने शादी की रस्मों के बाद दुल्हन की विदाई से पहले रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया। जिसमें बारात में आए लोगों और रिश्तेदारों ने रक्तदान किया। सबसे पहले दूल्हे सुरविंदर ने रक्तदान किया। इसके बाद सोमवार को तीन मार्च की सुबह बैलगाड़ी से दूल्हा-दुल्हन की विदाई हुई। विदाई के दौरान सिर्फ शहनाई और ढोलक का संगीत बजाया गया।
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हनीमून नहीं बुजुर्ग दंपतियों के साथ तीर्थयात्रा
इसी के साथ इस अनोखी शादी में एक और मिसाल कायम हुई है। जिसमें नवयुगल जोड़े ने हनीमून ना मनाने का फैसला किया है। नवयुगल जोड़े ने हनीमून के स्थान पर वृद्धाश्रम के बुजुर्ग दंपतियों के साथ तीर्थयात्रा पर जाने का फैसला किया है।
किसान पिता का पर्यावरण प्रेमी बेटा
इंजीनियर सुरविंदर चौधरी के पिता अनिल चौधरी एक किसान और डेयरी फार्म के मालिक हैं। सुरविंदर बचपन से ही पर्यावरण प्रेमी था। साफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद भी उसने अपना पर्यावरण के प्रति मोह नहीं छोड़ा।
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सुरविंदर को ऐसे मिली पर्यावरण प्रेमी पत्नी
सुरविंदर ने बताया कि वो ऐसे रिश्ते की तलाश में थे जो दहेज के खिलाफ हो। उनकी होने वाली पत्नी पर्यावरण संरक्षण में उनके साथ योगदान दे। इसी बीच उनकी मुलाकात बुलंदशहर निवासी प्रिया चौधरी से हुई। जब उन्होंने प्रिया से अपने संकल्प को लेकर बात की तो वह उनके साथ शादी करने को तैयार हो गई। प्रिया के पिता शरनवीर चौधरी, बैंक से रिटायर अधिकारी है। दहेज की बात की तो सुरविंदर ने साफ इनकार कर दिया। प्रिया एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं और वर्तमान में गाजियाबाद में रहती हैं।