नयी दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिक्षा काे सबसे परिवर्तनकारी और प्रभावशाली तंत्र करार देते हुए कहा है कि यह केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह प्रगति, सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव की आधारशिला है।
धनखड़ ने सोमवार को यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के मुक्त शिक्षा विद्यालय के 62 वें स्थापना दिवस के समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान और शिक्षा के केंद्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा रही है और देश दृढ़ता से अपने पिछले गौरव को फिर से हासिल करने की राह पर है। नालंदा और तक्षशिला जैसे संस्थानों की शानदार विरासत का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने समकालीन समय में भारत के शैक्षिक परिदृश्य में आदर्श बदलाव और पुनरुत्थान पर प्रकाश डाला।
भारतीय शैक्षिक परिदृश्य में नई शिक्षा नीति (एनईपी) की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि एनईपी एक परिवर्तनकारी परिवर्तन की शुरुआत करती है और समग्र शिक्षार्थी विकास के लिए एक योजना तैयार करती है तथा 21 वीं सदी की चुनौतियों के लिए सुसज्जित एक जानकार समाज का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि लचीले शिक्षण मार्गों, प्रौद्योगिकी एकीकरण, विविध आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पहचानने पर एनईपी का मुख्य जोर है।
परिवर्तन के लिए शिक्षा को सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र बताते हुए धनखड़ ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि, यह प्रगति, सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि यह वह कुंजी है जो प्रगति, समृद्धि और सशक्तिकरण के द्वार खोलती है। शिक्षा सबसे बड़ा अधिकार और दान है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से बड़ा कोई मौलिक अधिकार नहीं हो सकता और शिक्षा से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता।
धनखड़ ने छात्रों से असफलता को सफलता की कुंजी मानने का आग्रह किया। उन्होंने आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से निपटने के लिए एक लचीली मानसिकता की आवश्यकता पर जोर दिया।