Friday, November 15, 2024

प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से प्रदेश के निर्यात में हुई अभूतपूर्व वृद्धि

शामली। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश में तेजी से विकसित हो रही है और निर्यात के क्षेत्र में उसका प्रदर्शन उल्लेखनीय है। प्रदेश के आर्थिक विकास में निर्यात एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसे सरकार द्वारा प्रोत्साहनात्मक नीतियों और संरचनात्मक सुधारों से लगातार मजबूती दी जा रही है।

 

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निर्यात में 28% वृद्धि हुई। 2018-19 में ₹1,14,057 करोड़ का निर्यात हुआ। यह वृद्धि राष्ट्रीय औसत से 10% अधिक थी। निर्यात में 30% की वृद्धि दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2022-23,₹1,74,037 करोड़ का निर्यात हुआ। यह 2021-22 की तुलना में 16.5% अधिक है। वित्तीय वर्ष 2023-24: निर्यात में 10% की वृद्धि दर्ज की गई। भारत के कुल निर्यात में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 5% है।

 

उत्तर प्रदेश में निर्यात का यह सकारात्मक रुझान प्रदेश की औद्योगिक नीतियों, बुनियादी ढांचे के विकास, और व्यापार-संबंधी सुधारों को दर्शाता है। यह न केवल राज्य की आर्थिक स्थिरता को मजबूत कर रहा है, बल्कि भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति को भी सुदृढ़ कर रहा है। उत्तर प्रदेश के निर्यात क्षेत्र में विविधता और व्यापकता दिखती है, जहां विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उत्पादन और निर्यात हो रहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने निर्यातकों के प्रोत्साहन और सुविधाओं के लिए कई प्रभावी नीतियां लागू की हैं।

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रेडीमेड गारमेंट्स,लेदर फुटवियर,गोल्ड ज्वेलरी,आयरन और स्टील उत्पाद,कारपेट और एल्युमीनियम उत्पाद,फिनिश्ड लेदर और हैंडीक्राफ्ट,खाद्यान्न वस्तुएं यूएसए, यूएई, वियतनाम, यूके, नेपाल, जर्मनी, चीन आदि।

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निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो द्वारा निर्यातक इकाइयों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया वर्ष 2014-15 में शुरू की गई। अब तक 3,157 निर्यातक इकाइयों ने पंजीकरण कराया है। वे इकाइयाँ जिनका वार्षिक टर्नओवर ₹50 लाख से अधिक है, पात्र हैं। इन कार्डधारकों को सरकारी विभागों में प्राथमिकता और सम्मान के साथ सेवाएं दी जाती हैं। बिना प्रवेश पत्र के विभिन्न सरकारी कार्यालयों में प्रवेश की सुविधा।  वे इकाइयाँ जिनका वार्षिक टर्नओवर ₹20 लाख से अधिक है, पात्र हैं।

निर्यातकों के कार्य में सरकारी विभागों के साथ समन्वय आसान बनाना।उनके कार्यों में वरीयता और सम्मान सुनिश्चित करना। निर्यात को प्रोत्साहन देकर राज्य की आर्थिक समृद्धि में योगदान देना। ये प्रयास उत्तर प्रदेश को निर्यात के क्षेत्र में एक प्रमुख राज्य के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्यात प्रोत्साहन के लिए कई योजनाओं को सरलीकृत किया है और प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी की है। इससे प्रदेश के निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। 745 इकाइयों को गोल्ड कार्ड से सम्मानित किया गया है। 63 इकाइयों को सिल्वर कार्ड प्रदान किया गया है।

13 मई, 2022 को जारी नवीनतम शासनादेश के तहत योजनाओं में निम्नलिखित बदलाव किए गए हैं। विदेशी मेला/प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए स्टाल चार्ज: ₹2 लाख तक सहायता। हवाई यात्रा पर सहायता: ₹1 लाख तक सहायता।

कैटलॉग, विज्ञापन, वेबसाइट आदि के व्यय पर अनुमन्य सहायता को ₹0.60 लाख से बढ़ाकर ₹0.75 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष किया गया है। सहायता राशि को ₹0.50 लाख से बढ़ाकर ₹1 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष किया गया है।

आईएसओ, बीआईएस, वूलमार्क (ऊनी उत्पादों के लिए), हाल मार्क (स्वर्णाभूषण के लिए), एचएसीसीपी (फूड सेफ्टी के लिए), और सी मार्क (विद्युत उपकरणों के लिए) जैसे प्रमाणीकरण पर सहायता राशि ₹0.75 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष की गई है।

इन परिवर्तनों का उद्देश्य निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सहूलियतें प्रदान करना है। यह संशोधित प्रोत्साहन नीति राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को निर्यात में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रेरित करेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर ट्रेड फेयर, बायर-सेलर मीट आदि के आयोजन में आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है। इन नीतियों का उद्देश्य निर्यातकों को बेहतर बाजार अवसर उपलब्ध कराना है।

आयोजक संस्था को कुल व्यय का 90% या अधिकतम ₹0.75 लाख तक की सहायता दी जाती है। आयोजक संस्था को कुल व्यय का 75% या अधिकतम ₹0.50 लाख तक की सहायता प्रदान की जाती है। आयोजन पर ₹0.25 लाख तक की सहायता राशि का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक, राज्य सरकार ने विपणन विकास सहायता योजना के अंतर्गत ₹3112.29 लाख की सहायता राशि दी है। इस योजना से अब तक 3661 निर्यातक इकाइयों को लाभान्वित किया जा चुका है।

इन प्रावधानों का उद्देश्य निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पहुंच को सुदृढ़ करना, प्रतिस्पर्धा में बने रहना, और राज्य के निर्यात को प्रोत्साहित करना है।

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