संभल। समाजवादी पार्टी (सपा) के 15 नेताओं का डेलिगेशन शनिवार, 30 नवंबर को संभल हिंसा के पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहा था, लेकिन जिलाधिकारी (डीएम) ने नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को फोन कर डेलिगेशन को संभल आने से रोक दिया। इस घटना के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला है।
मुज़फ्फरनगर में जनसेवा केन्द्र संचालक के साथ मारपीट, 25 हज़ार की नकदी व मोबाइल लूटा
अखिलेश यादव ने इस मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा,”प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। अगर सरकार उन लोगों पर पहले ही प्रतिबंध लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए, तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।”
‘मुसलमान बाहर निकलेंगे तो पुलिस मारेगी’, संभल हिंसा पर बोले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद
अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार को संभल के पूरे प्रशासनिक तंत्र को निलंबित करना चाहिए। उन्होंने लिखा,”संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित किया जाए और उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाकर बर्खास्त भी किया जाए। इसके अलावा दोषियों पर हत्या का मुकदमा भी चलना चाहिए।” कहा, कि”भाजपा की सरकार हार चुकी है। यह प्रतिबंध और प्रशासनिक अव्यवस्था भाजपा की विफलता को उजागर करती है।”
मुज़फ्फरनगर में अफसरों के ड्राईवर-कर्मी कर रहे अवैध वसूली, पूर्व विधायक ने कराई थी रिश्वत वापस
सपा के डेलिगेशन में शामिल नेताओं का उद्देश्य संभल हिंसा के पीड़ित परिवारों से मुलाकात करना और उनकी समस्याओं को सुनना था। डेलिगेशन को रोके जाने पर सपा नेताओं ने कहा कि सरकार उन्हें जनहित की आवाज उठाने से रोकने की कोशिश कर रही है।
संभल में हाल ही में हुई हिंसा ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। सपा ने इस घटना के लिए भाजपा सरकार और प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना के बाद भाजपा और सपा के बीच राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है। सपा ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है, जबकि भाजपा ने इसे विपक्ष की राजनीतिक साजिश बताया है। संभल हिंसा और सपा डेलिगेशन को रोके जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। यह मामला आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक बहस का कारण बन सकता है।