अजमेर। इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद (आईएमसी) के संस्थापक मौलाना तौकीर रजा खान अजमेर दरगाह विवाद के बाद अजमेर पहुंचे। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को खासतौर से निशाना बनाया जा रहा है, उनके मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, तो मैं सरकार से मांग करता हूं कि मुझे बांग्लादेश जाने की इजाजत दी जाए। मैं अपनी टीम के साथ वहां जाना चाहता हूं और वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए काम करना चाहता हूं।
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मौलाना तौकीर रजा खान ने कहा, “बांग्लादेश में जो हालात हैं, वह बहुत चिंताजनक हैं। मुझे जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वहां तख्तापलट हुआ है। भारतीय मीडिया इसे इस तरह पेश कर रहा है कि वहां हिंदुओं के खिलाफ जातीय भेदभाव हो रहा है और अगर ऐसा धर्म की वजह से हो रहा है, तो यह बहुत गलत है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। चिश्ती साहब और अन्य लोग भी इसकी निंदा करेंगे। अगर वहां मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, तो हम इसका विरोध करते हैं। हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में धर्म की वजह से किसी के साथ भेदभाव न हो।”
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उन्होंने आगे कहा, “हिंदुओं को खासतौर से निशाना बनाया जा रहा है, उनके मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, तो मैं सरकार से मांग करता हूं कि मुझे बांग्लादेश जाने की इजाजत दी जाए। मैं अपनी टीम के साथ वहां जाना चाहता हूं और वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए काम करना चाहता हूं। वहां की सरकार को चाहिए कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों की हिफाजत के लिए ठोस कदम उठाए।”
अजमेर दरगाह विवाद पर उन्होंने कहा, “सीधी बात यह है कि अगर आप खुदाई करेंगे तो कुछ न कुछ तो निकलेगा ही, और अगर आप और गहरे खुदेंगे तो और भी चीजें सामने आ सकती हैं। अगर आप खुदाई करते रहेंगे, तो हो सकता है कि डायनासोर के अंडे या डायनासोर के अवशेष भी मिल जाएं। अब सवाल यह है कि इस खुदाई से देश को क्या लाभ या हानि हो रही है। असल मकसद तो यह नहीं होना चाहिए कि किसी पुराने मंदिर को ढूंढना है, बल्कि उनका असली उद्देश्य अपनी पहचान बनाना है।”
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उन्होंने कहा, “जिन्होंने रसूल ए आजम की शान में गुस्ताखी की है, उनका मकसद भी यही था। सिर्फ गुस्ताखी नहीं, बल्कि अपनी पहचान बनाना। यह सब जो लोग कर रहे हैं, वे देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को इन लोगों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाकर इनका ठिकाना जेल में तय करना चाहिए, क्योंकि अगर इन्हें आजाद छोड़ दिया गया तो ये इसी तरह का माहौल बनाते रहेंगे।” इसके बाद उन्होंने सरकार पर मुसलमानों के खिलाफ ऐलान-ए-जंग का आरोप लगाए हुए कहा, “हिंदुस्तान में सरकार ने मुसलमानों के खिलाफ एक तरह से जंग का ऐलान कर दिया है।
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सरकार के दबाव में जो अदालतें ऐसे फैसले दे रही हैं, जैसे खोजने का फैसला या सर्वे का फैसला हो रहा है, ये सभी सरकार के दबाव में किए जा रहे हैं। अगर अदालतें इस तरह के फैसले देती हैं तो यह एक बहुत गंभीर बात है, क्योंकि यदि भारत में न्याय व्यवस्था से जनता का विश्वास उठ जाता है, तो इसे जंगलराज की स्थिति कहा जा सकता है। इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट से अपील करता हूं कि वह इस पर संज्ञान लें और जो भी ऐसे फैसले निचली अदालतों से हो रहे हैं, उन पर तुरंत रोक लगाई जाए।”