मेरठ। मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 10 दोषियों को जमानत दे दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने चार दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की इन दलीलों पर गौर किया कि उन्हें बरी करने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पलटे जाने के बाद से वे लंबे समय से जेल में रह रहे हैं।
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बेंच के सामने पेश सीनियर एडवोकेट अमित आनंद तिवारी ने दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत तथ्यों के आधार पर ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटा था। ट्रायल कोर्ट ने घटना के करीब 28 साल बाद 2015 में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को सबूतों की कमी के आधार पर बरी कर दिया था।
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हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में 16 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। एडवोकेट तिवारी ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन सभी 2018 से जेल में हैं। इस वजह से उन्हें जमानत दी जाए।
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याचिकाकर्ताओं समी उल्लाह, निरंजन लाल, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह-का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता तिवारी ने शुक्रवार को तर्क दिया कि अपीलकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद से छह साल से अधिक समय से जेल में हैं। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं को पहले अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है तथा अधीनस्थ अदालत में सुनवाई और अपील प्रक्रिया के दौरान उनका आचरण अच्छा रहा है।
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उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालत द्वारा सोच-विचारकर सुनाए गए बरी करने के फैसले को पलटने का गलत आधार पर निर्णय लिया। अदालत ने दलीलों पर गौर किया और आठ दोषियों की आठ लंबित जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया।