नोएडा। यूपी रेरा में काम के बदले एक लेखाकार द्वारा रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। एंटी करप्शन टीम मेरठ ने आरोपी लेखाकार को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोचा है। आरोप है कि फ्लैट कब्जे में देरी से परेशान खरीदार से रेरा कर्मचारी ने रिश्वत मांगी थी। शिकायत पर टीम ने आरोपी लेखाकार को रंगे हाथ पकड़ा है।
जानकारी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सहायक निदेशक कुलदीप ने वर्ष 2014 में ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-10 स्थित अमात्रा होम्स प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया था। फ्लैट का कब्जा 2018 में मिलना था, लेकिन डेवेलपर ने न तो ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) और न ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) के बगैर 2019 में फ्लैट का कब्जा सौंप दिया। इसके साथ ही चार लाख रुपये अतिरिक्त मांग कर दी गई।
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कुलदीप ने बताया कि उन्होंने सीएलपी प्लान के तहत फ्लैट खरीदा था और 95 प्रतिशत भुगतान कर चुके थे। बचे हुए पांच प्रतिशत भुगतान के समय ही बिल्डर ने अतिरिक्त रकम की मांग शुरू कर दी। जब कुलदीप ने इस अनियमितता की शिकायत उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) से की, तो जांच के आदेश हुए। बिल्डर ने मामले को चुनौती भी दी, लेकिन जून 2022 में बिल्डर की अपील खारिज कर दी गई। इसके बावजूद पिछले तीन वर्षों से कुलदीप यूपी रेरा के चक्कर लगा रहे हैं।
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न तो उन्हें फ्लैट का वैध कब्जा मिल सका और न ही बिल्डर पर जुर्माना वसूला गया।
इसी बीच शनिवार को यूपी रेरा के लेखाकार हरेंद्र गोस्वामी ने उनका काम जल्दी कराने का भरोसा दिलाया, लेकिन इसके बदले में 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी। जब कुलदीप ने इतनी बड़ी राशि देने में असमर्थता जताई तो हरेंद्र ने पांच हजार रुपये तत्काल और बाकी बाद में देने की बात कही। इस पर कुलदीप ने तुरंत एंटी करप्शन टीम मेरठ से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई। योजना के अनुसार जब हरेंद्र गोस्वामी रिश्वत लेते हुए पकड़े गए, तब एंटी करप्शन टीम ने उन्हें रंगे हाथ दबोच लिया।
उसके बाद आरोपी को बीटा-2 थाने लाया गया, जहां उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पीड़ित कुलदीप ने कहा कि वह एक केंद्रीय अधिकारी होते हुए भी न्याय पाने के लिए तीन वर्षों से दर-दर भटक रहे थे। अब वह चाहते हैं कि यूपी रेरा में सुधार हो और पीड़ितों को समय से न्याय मिले। इस मामले ने रेरा कार्यालय में कामकाज की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं आरोपी कर्मचारी को पकड़े जाने के बाद यूपीरेरा के अधिकारी भी लेखाकार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोतवाली पहुंचकर जांच की है।