मुजफ्फरनगर। तुलसी मानस मंदिर, सत्संग भवन शामली रोड मुजफ्फरनगर में आज शनिवार को श्री मद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन श्री वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय महाराज ने कथा की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के भजनों से की।
आज की श्रीमद्भागवत कथा में किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत एवं किसान चिंतक कमल मित्तल, अशोक घटायन को कथा व्यास आचार्य श्री धर्मेन्द्र उपाध्याय जी महाराज ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद दिया।
कथा व्यास आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय ने आज भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया।
मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन किया।
कथा व्यास आचार्य धर्मेंद्र उपाध्याय जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे ।द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है ।जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे, सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया।
सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया ।दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया । उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथा व्यास आचार्य धर्मेंद्र उपाध्याय जी महाराज ने कहा कि जो भक्त श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है।
श्रीमद्भागवत कथा के सम्पूर्ण होने पर राधे राधे परिवार के दिनेश बंसल, मोहित मलिक, दिपेंद्र मलिक, सुशील शर्मा से भक्तों का कथा में पधारने पर आभार प्रकट किया।