सफेद मूसली की खेती से किसान हो रहे मालामाल प्रति एकड़ 5 से 7 लाख की कमाई का सुनहरा मौका

अगर आप किसान हैं और सोच रहे हैं कि ऐसी कौन सी खेती की जाए जिससे कम समय और कम जमीन में ज्यादा मुनाफा हो तो यह लेख आपके लिए है। आज हम आपको एक ऐसी औषधीय फसल के बारे में बता रहे हैं जिसकी खेती से किसान भाई प्रति एकड़ 5 से 7 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है जिसे मध्य प्रदेश के देवास जिले के किसान देहरियासाहु पिछले कई वर्षों से साबित कर रहे हैं।
किसानों की जिंदगी बदल रही है यह खेती
उत्पादन और मुनाफा
अगर कोई किसान सफेद मूसली की खेती करता है तो उसे सूखे रूप में प्रति एकड़ करीब 4 से 5 क्विंटल तक उत्पादन आसानी से मिल जाता है। जब इसका बाजार भाव लाखों रुपये प्रति क्विंटल चल रहा हो तो सोचिए कितना शानदार मुनाफा किसान भाई कमा सकते हैं। यही कारण है कि यह फसल किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो रही है।
बीज और ट्रेनिंग की सुविधा
देहरियासाहु किसानों को बीज उपलब्ध करवाने के साथ–साथ खेती की पूरी जानकारी भी मुफ्त में दे रहे हैं। उनके कालिया मूसली फार्म पर किसान भाई बीज ले सकते हैं और इसके साथ ही फ्री ट्रेनिंग भी पा सकते हैं जिससे खेती का सही तरीका उन्हें अच्छी तरह समझ में आ जाए। इस तरह किसान नए-नए प्रयोग करके आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
मांग और खेती का समय
सफेद मूसली की मांग मुख्य रूप से औषधीय उपयोग के लिए होती है। आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में इसका इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है। यही कारण है कि घरेलू बाजार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। इसकी खेती के लिए नरम और जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। रेतीली और लाल मिट्टी में भी यह अच्छी तरह हो जाती है अगर उसमें जैविक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद हों। इसकी बुवाई जून के पहले सप्ताह में बारिश के समय की जाती है और इसमें कंद लगाए जाते हैं।
दोस्तों यह साफ है कि सफेद मूसली की खेती किसानों के लिए सोने का अवसर लेकर आई है। यह औषधीय फसल न केवल उच्च पैदावार देती है बल्कि इसकी बाजार में मांग भी बहुत ज्यादा है। अगर आप भी खेती से अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ाना चाहते हैं तो सफेद मूसली की खेती आपके लिए एक सुनहरा विकल्प साबित हो सकती है।
Disclaimer: यह लेख केवल कृषि संबंधी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। खेती करने से पहले स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें ताकि आपकी मिट्टी और जलवायु के अनुसार आपको सही मार्गदर्शन मिल सके।