मुजफ्फरनगर बड़कली सामूहिक हत्याकांड: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 आरोपियों को बरी किया, 5 की उम्रकैद बरकरार

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बहुचर्चित बड़कली सामूहिक हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 10 आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि कुख्यात विक्की त्यागी की पत्नी मीनू त्यागी समेत 5 दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को यथावत रखा। यह फैसला लगभग 14 वर्ष पुराने इस जघन्य अपराध की न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
यह घटना 2011 में घटी थी, जब बधाई खुर्द के निवासी एवं रोहाना गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन उदयवीर सिंह, उनके परिवार के सदस्यों और तीन मासूम बच्चों सहित कुल आठ लोगों की साजिश के तहत हत्या कर दी गई थी। हत्यारों ने इस वारदात को ट्रक हादसे का रूप देने की कोशिश की थी, लेकिन जांच में साजिश का पर्दाफाश हो गया। यह मामला जिले के सबसे चर्चित हत्याकांडों में शुमार है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी।
निचली अदालत का फैसला
चार जुलाई 2022 को मुजफ्फरनगर के अपर सत्र न्यायालय ने मीनू त्यागी और ममता सहित कुल 16 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही प्रत्येक पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसकी सुनवाई लंबे समय से चल रही थी।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट की डबल बेंच—न्यायमूर्ति तेजप्रताप तिवारी एवं सौमित्रा दयाल सिंह—ने विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने हरबीर सिंह, बॉबी त्यागी उर्फ विनीत त्यागी, अनिल, शुभम, विदित, ममता, लोकेश, विनोद, मनोज और प्रमोद सहित 10 दोषियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
वहीं, मीनू त्यागी, रविंद्र, धर्मेंद्र, बबलू उर्फ अजय शुक्ला और बॉबी शर्मा उर्फ विनीत शर्मा की अपीलों को खारिज करते हुए उनकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा गया। कोर्ट ने ममता को बरी करने का आदेश दिया, लेकिन अन्य पांच दोषियों के खिलाफ निचली अदालत का फैसला सही ठहराया।