गुवाहाटी- कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 14 जनवरी को मणिपुर से शुरु हुई ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को असम में पुलिस ने मंगलवार को बैरिकेड लगाकर रोक दिया लेकिन यात्रा की अगुवाई कर रहे श्री गांधी ने कहा कि वह डरने और पीछे हटने वाले नहीं हैं।
श्री गांधी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान यहां कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार उन्हें जितना तंग करना है करती रहे लेकिन वह अपनी राह बदलने वाले नहीं हैं। उनकी यात्रा चलती रहेगी और वह किसी भी हालात में रुकने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ भी करो.. बुरा-भला कहो, परेशान करो, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगा। मैं सच्चाई के लिए लड़ता रहूंगा। चाहे पूरी दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी हो जाए, मुझे फर्क नहीं पड़ता। एक बार मैंने मन बना लिया, तो मेरी विचारधारा के लिए लड़ने से मुझे कोई नहीं रोक सकता।”
श्री गांधी ने कहा, “असम के मुख्यमंत्री सोचते हैं कि वह किसी को भी डरा सकते हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी डरने वाली नहीं है। वे मेरे ऊपर केस लगा रहे हैं, क्योंकि उनके दिल में डर है। वे डरे हुए हैं कि असम की जनता कांग्रेस के साथ खड़ी है। असम के मुख्यमंत्री का सिर्फ एक ही काम है- नफरत फैलाना, एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाना, एक भाषा को दूसरी भाषा से लड़ाना। ऐसे में जब असम की जनता आपस में लड़ने लगती है तब भाजपा के लोग आपका पैसा अपनी जेब में डाल लेते हैं।’’
उन्होंने कहा कि वह न्याय यात्रा पर हैं और उनकी इस यात्रा के पांच स्तंभ हैं। उन्होंने कहा “हमारी ‘न्याय की लड़ाई’ के पांच स्तंभ हैं। युवा न्याय, भागीदारी न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय। महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय और युवाओं की बेरोजगारी के खिलाफ हमारे पास समाधान हैं। कांग्रेस अगले महीने इन सभी मुद्दों पर विस्तार से अपनी बात आपके सामने रखेगी।”
कांग्रेस नेता ने यात्रा रोके जाने को लेकर गृहमंत्री अमित शाह पर भी आरोप लगाया और कहा,“हिंदुस्तान के गृहमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री को फोन कर कहा- राहुल गांधी को यूनिवर्सिटी के छात्रों से मिलने मत देना। फिर हिमंत सरमा ने यहां के यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को फोन लगाया और कहां कि राहुल गांधी असम और नॉर्थ ईस्ट के छात्रों से नहीं मिल सकते। इसलिए मैं आपकी यूनिवर्सिटी में आपसे मिलने नहीं आ पाया। यह विचार कि यदि आपके पास पैसा और शक्ति है तो आप जो चाहें कर सकते हैं और जो चाहें खरीद सकते हैं। यह विचार कि असम की संस्कृति, असम की भाषा और असम की परंपरा गौण है और नागपुर की संस्कृति और परंपरा के सामने झुकना चाहिए। ये असम की जनता महसूस कर रही है।”
उन्होंने कहा “आपको ऐसा लगता है कि आपके पास एक सीएम है जो असम को चला रहा है लेकिन इसे दिल्ली से चलाया जा रहा है। अगर उन्होंने कोई ऐसी बात कह दी जो दिल्ली को पसंद नहीं है तो हम जानते हैं कि उनका क्या होगा। यह असमिया लोगों की आवाज नहीं है। देश में करीब 50 प्रतिशत ओबीसी, 15 प्रतिशत दलित और 12 प्रतिशत आदिवासी हैं लेकिन इन्हें सिस्टम में भागीदारी नहीं मिलती है। भारत सरकार के 90 अफसरों में सिर्फ तीन अफसर ओबीसी वर्ग के हैं इसलिए भागीदारी बहुत जरूरी है, कांग्रेस का उस पर विशेष ध्यान रहेगा”