नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 500 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपित और बिजनेसमैन माधव आचार्य को जमानत दे दी है। स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने कहा कि आरोपित साढ़े चार महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है और निकट भविष्य में ट्रायल खत्म होने की संभावना नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि त्वरित ट्रायल किसी भी आरोपित का मौलिक अधिकार है। इस मामले में जांच अभी जारी है और जांच एजेंसी पूरक चार्जशीट दाखिल कर रही है। ऐसे में ट्रायल के निकट भविष्य में खत्म होने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी चार महीने 18 दिन हिरासत में गुजार चुका है। किसी आरोपित को अनिश्चित काल तक के लिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। सुनवाई के दौरान माधव आचार्य की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपित के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि अगर आरोपित को जमानत दी जाती है तो उसके मनी लांड्रिंग के मामले में लिप्त होने की कोई संभावना नहीं है। इस मामले में जो भी साक्ष्य है वो दस्तावेजी या डिजिटल है जिससे छेड़छाड़ करने की कोई संभावना नहीं है।
सुनवाई के दौरान माधव आचार्य की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि आरोपित अवंता समूह के मुख्य प्रबंधकों में से एक था। ईडी के मुताबिक 2017 से लेकर 2019 तक थापर, अवंता रियल्टी और ओयेस्टर बिल्डवेल ने यस बैंक के साथ 466.51 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
यस बैंक ने अपनी शिकायत में कहा है कि ओयेस्टर बिल्डवेल की एक सहयोगी कंपनी ने एक पावर प्लांट का ठेका लेने के लिए दिसंबर 2017 में दस सालों के लिए 515 करोड़ रुपये का लोन लिया था लेकिन कंपनी लोन की ईएमआई नहीं दे रही जिसके बाद उसे 30 अक्टूबर 2019 को एनपीए करार दिया गया। बता दें कि 2020 में सीबीआई ने यस बैंक के पूर्व एमडी राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को 307 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अवंता रियल्टी में रिश्वत के रुप में एक बंगला खरीदने के मामले में केस दर्ज किया था।