मुज़फ्फरनगर में काली स्कॉर्पियो प्रकरण गरमाया: भाकियू प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस की 'बर्बर पिटाई' पर उठाए सवाल
जेल में मिलकर पुलिस पर लगाए ज्यादती के आरोप, , प्रशासन को दिया तीन दिन का अल्टीमेटम
मुजफ्फरनगर। शिवचौक पर वाहनों की चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मियों को काली स्कॉर्पियो कार से कुचलने का प्रयास करने और फिर फरार होने के मामले में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने अब राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में तनाव बढ़ा दिया है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू-टिकैत) ने चारों आरोपित युवकों के समर्थन में खुलकर मोर्चा संभाल लिया है।
भाकियू ने जताया कड़ा एतराज
सोमवार को भाकियू जिलाध्यक्ष सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कारागार पहुंचकर चारों बंद युवकों से मुलाकात की। जेल से बाहर निकलते ही भाकियू नेताओं ने पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोपों की बौछार कर दी और पुलिस की कार्रवाई को गुंडागर्दी करार दिया।
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घटनाक्रम: 27 नवंबर की रात एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत फोर्स के साथ शिव चौक पर चेकिंग कर रहे थे। काली स्कॉर्पियो कार में सवार चार युवकों को पुलिस ने रोका, लेकिन वे कार को तेजी से भगाते हुए फरार हो गए। इस दौरान एसपी सिटी और अन्य पुलिसकर्मी कार का डोर हैंडल पकड़े होने के कारण घसीटे गए।
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मुकदमा: पुलिस ने चारों आरोपित युवकों— पुष्कर चौधरी, तरुण चौधरी, प्रियांशु चौधरी और वंश चौधरी (निवासीगण जनपद बिजनौर)— को रात्रि में गिरफ्तार कर अगले दिन आबकारी चौकी इंचार्ज एसआई मोहित कुमार की तहरीर पर हत्या के प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा डालने और मोटर व्हीकल एक्ट में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था।
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भाकियू का यू-टर्न: पहले भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने इन युवकों का संगठन से कोई संबंध होने से इनकार किया था, लेकिन अब भाकियू पूरी तरह से उनके समर्थन में उतर आई है।
'हत्या के प्रयास' की धारा पर सवाल
सोमवार को जेल से निकलने के बाद भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने कहा कि बिजनौर के ये चारों छात्र शादी समारोह में आए थे और रास्ता भटककर शिव चौक पर पहुँच गए।
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ज्यादती का आरोप: राठी ने माना कि घबराहट में गाड़ी भगाना उनकी गलती थी। पुलिस उनकी गाड़ी को सीज कर सकती थी या जुर्माना लगा सकती थी, लेकिन उन पर हत्या के प्रयास जैसे आरोप में मुकदमा दर्ज करना ज्यादती है। उन्होंने कहा कि उनके साथ पुलिस द्वारा थाने में बर्बरता की गई है और उनकी पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।
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प्रदेश महासचिव धीरज लाटियान ने कहा कि पुलिस इस मामले में चारों लड़कों पर लगाये जा रहे आरोप गलत है। किसी के चोट नहीं लगी। पुलिसकर्मियों ने ही सरकारी राइफल मारकर गाड़ी का शीशा तोड़ा, जितना अपराध था, उतनी ही कार्यवाही करनी चाहिए थी। लखीमपुर खीरी में एक भाजपा नेता के बेटे ने किसानों को गाड़ी चढ़ाकर कुचल दिया और मार डाला, उसको पकड़कर ऐसे पिटाई क्यों नहीं की गई। सिर्फ यह गलती थी कि उन्होंने गाड़ी नहीं रोकी, वो दारू के नशे में थे, उनको सही गलत कुछ पता नहीं चला। इस देश में दारू को बंद कराया जाये। प्रशासन पूरी तरह से हठधर्मिता दिखा रहा है, पुलिस कर्मी खुली गुंडागर्दी कर रहे हैं। उनको जिस तरह से पीटा गया, वो अमानवीय कृत्य है, गलत कमेंट किये गये। पुलिस की इस कार्यवाही से पूरी भाकियू टेंशन में है। तीन दिन का समय दिया गया है, यदि इसमें पुलिस प्रशासन ने राहत नहीं दी तो भाकियू संगठन इलाज करने सड़क पर आयेगा। यह आंदोलन जेल, रेल या कहीं भी हो सकता है, चौथे दिन आक्रोश का सैलाब आयेगा। झंडे और पद का गलत उपयोग नहीं करें, ये संदेश संगठन ने दिया है। चैकिंग में अपने वाहन को जरूर रोके, पुलिस प्रशासन का सहयोग करें।
तीन दिन का अल्टीमेटम
भाकियू नेताओं ने प्रशासन से मांग की है कि इन युवकों को राहत दी जाए और उनका जीवन बर्बाद न किया जाए।
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चेतावनी: संगठन ने प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम थमा दिया है। धीरज लाटियान ने चेतावनी दी कि यदि इसमें पुलिस प्रशासन ने राहत नहीं दी तो चौथे दिन भाकियू संगठन इलाज करने सड़क पर आएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से झंडे और पद का गलत उपयोग न करने और चेकिंग में पुलिस का सहयोग करने का संदेश भी दिया।
इस प्रतिनिधिमंडल में भाकियू के प्रदेश महासचिव धीरज लाटियान, प्रदेश महासचिव पुरकाजी चेयरमैन जहीर फारूकी, बिजनौर जिलाध्यक्ष सुनील प्रधान, महानगर अध्यक्ष गुलबाहर राव और कपिल कुमार आदि शामिल रहे। परिजनों ने भी पुलिस कार्यवाही पर आक्रोश जताया है।
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