मुज़फ्फरनगर। मुज़फ्फरनगर में सहारा समूह से जुड़े एक बड़े भूमि घोटाले का मामला एक बार फिर चर्चा में है। आरोप है कि सहारा ने निवेशकों के पैसे से खरीदी गई 212.51 एकड़ कृषि भूमि को फर्जी व शेल कंपनियों के माध्यम से बेच दिया, जबकि यह जमीन सेबी के पास गिरवी रखी गई थी। समाजसेवी विकास बालियान द्वारा सामने आए नए दस्तावेज़ों और दावों के बाद देशभर के करीब 13 करोड़ निवेशकों में चिंता बढ़ गई है।
2003 से शुरू हुआ कथित खेल : छोटी रकम लेकर जमीन खरीदी गई
मामला वर्ष 2003 में शुरू हुआ, जब सहारा समूह ने ‘सहारा सिटी होम्स’ जैसी योजनाओं में निवेश कराने के नाम पर देशभर के छोटे निवेशकों से 100, 500, 1000 और 5000 रुपये तक की रकम जुटाई। निवेशकों को कई गुना रिटर्न देने का वादा किया गया था।
इसी योजना के तहत सहारा ने मुज़फ्फरनगर के जड़ौदा, बेगराजपुर, धौला पुल और आसपास के क्षेत्रों में कुल 212.51 एकड़ (लगभग 1300 बीघा) जमीन खरीदी। लेकिन जमीन सीधे सहारा ने नहीं खरीदी, बल्कि 17 कथित फर्जी शेल कंपनियों के नाम पर दर्ज कराई गई।
इन कंपनियों में करविंदा, पाणिनी, कस्तूरी, किरीटा, कृपा, कुशा, निरूपा, नृगा, नृपा, निशिकांता, ओल्गा, ओमकार, उमर, यशोमित्रा और सहारा सिटी होम्स जैसे नाम शामिल हैं, जिनका न कोई वास्तविक कारोबार था और न ही उनके निदेशक कभी सार्वजनिक रूप से सामने आए।
मुजफ्फरनगर के सामाजिक कार्यकर्ता
विकास बालियान के अनुसार, इन कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य जमीन खरीदना और बाद में उसे फर्जी तरीके से बेचना था। उन्होंने दावा किया कि सेबी और सुप्रीम कोर्ट जैसे नियामक संस्थानों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
उन्होंने बताया कि में सहारा समूह ने देशभर में डिबेंचर और शेयरों के नाम पर लगभग 24,000 करोड़ रुपये जुटाए। इसके बाद सेबी ने हस्तक्षेप करते हुए सहारा को पैसा वापस करने का आदेश दिया। आदेश न मानने पर सहारा के चेयरमैन सुब्रतो राय को जेल जाना पड़ा।
विकास के मुताबिक जेल से राहत पाने के लिए सहारा ने सेबी के पास 307 करोड़ रुपये मूल्य की 71 संपत्तियां गिरवी रखीं, जिनमें मुज़फ्फरनगर की यही 212.51 एकड़ जमीन भी शामिल थी।
RTI में खुलासा: सेबी ने कहा जमीन आज तक नहीं बिकी, लेकिन…
विकास बालियान का दावा है कि 25 अक्टूबर को प्राप्त RTI जवाब में सेबी ने स्पष्ट कहा कि मुजफ्फरनगर की यह जमीन आज भी सेबी के पास गिरवी है, अभी तक नहीं बिकी और बिक्री से कोई पैसा सहारा-सेबी खाते में जमा नहीं हुआ।लेकिन स्थानीय स्तर पर स्थिति बिल्कुल अलग निकली।
जमीन पहले ही बेची जा चुकी थी, इंटीग्रेटेड सिटी का विकास जारी
बालियान के अनुसार, सेबी के पास गिरवी दिखाए जाने के बावजूद जमीन पहले ही बेची जा चुकी थी और यहाँ न्यूमेक्स इंटीग्रेटेड सिटी का निर्माण चल रहा था और बिना एमडीए (मुज़फ्फरनगर विकास प्राधिकरण) से नक्शा पास कराए प्लॉट बेचे जा रहे थे।
दावा है कि 2022–2024 के दौरान मुज़फ्फरनगर तहसील की 822 बीघा भूमि मात्र 62.28 करोड़ रुपये में कई कंपनियों को बेच दी गई, जबकि बाजार मूल्य 35–45 लाख रुपये प्रति बीघा था। इससे अनुमानित 300–400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सहारा की सहयोगी कंपनियों को भी भुगतान नहीं
इस जमीन की सुरक्षा और रखरखाव का काम National Security Service (NSS) और HF Placement & Labour जैसी कंपनियों के पास था, जिनके पास वर्क ऑर्डर, बिल और ईमेल सहित 10.34 करोड़ रुपये बकाया के दस्तावेज मौजूद हैं।
लेकिन सहारा की आर्थिक तंगी के कारण भुगतान रोक दिया गया। कंपनियों ने कभी शेल कंपनियों से ऑर्डर नहीं लिए—सारे आदेश सहारा की SAOFL, SPECL और Sahara Q Shop से आए।
2022 में बड़ा मोड़ : एक ही व्यक्ति बना 17 कंपनियों का मालिकाना हस्ताक्षरकर्ता
उन्होंने बताया कि इसमें सबसे चौंकाने वाला दावा यह है कि 2022 में देहरादून निवासी आनंद सिंह बिष्ट 17 शेल कंपनियों का एकमात्र अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (authorized signatory) बन गया। यह बदलाव न किसी बोर्ड मीटिंग में हुआ, न ROC फाइलिंग में दर्ज किया गया और न ही कोई पावर ऑफ अटॉर्नी जारी हुई।
इसके बाद बिष्ट ने कथित तौर पर मुज़फ्फरनगर सदर व खतौली तहसील की जमीनें Numax, Apex, Oasis Opus, Abhara, BluHomes, Infratech समेत कई कंपनियों को बेच दीं।
प्रशासन, सेबी व अन्य संस्थाओं पर गंभीर सवाल
विकास बालियान का आरोप है कि यह पूरा मामला एक संगठित रियल एस्टेट घोटाले जैसा है, जिसमें प्रशासन, सेबी और अन्य विभागों ने आँखें मूँद लीं। उनका सवाल है कि—
• इंटीग्रेटेड सिटी को मंजूरी कैसे मिली?
• प्रदूषण विभाग ने NOC कैसे जारी किया?
• सेबी में गिरवी रखी जमीन की बिक्री को सेबी कैसे नहीं रोक सकी?
• सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही प्रक्रिया के बावजूद ऐसी यह ज़मीन कैसे बेच दी गई ।
निष्पक्ष जांच की मांग तेज
बालियान कहते हैं कि यह केवल कागज़ी धोखाधड़ी नहीं, बल्कि 13 करोड़ निवेशकों की कमाई की लूट है। उन्होंने आम नागरिकों से अपील की है कि वे इस मामले में आवाज उठाएँ और सीबीआई जांच, निवेशकों के पैसे की वापसी और फर्जी कंपनियों की जांच की मांग करें।
भूमि खरीदने वाली न्यूमेक्स से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।