Saturday, March 29, 2025

सीसीएसयू के छात्रों ने शैक्षिक भ्रमण में जानी हर्बल और वनस्पति रोग विज्ञान में सूक्ष्मजीवों की भूमिका

मेरठ। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन और FRI देहरादून में एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी के छात्रों ने शैक्षिक भ्रमण में जानी हर्बल और वनस्पति रोग विज्ञान में सूक्ष्मजीवों की भूमिका।

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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी के छात्रों ने विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के मार्गदर्शन, विभागाध्यक्ष प्रो. जितेंद्र सिंह के निर्देशन और शिक्षक डॉ. दिनेश पंवार एवं डॉ. लक्ष्मण नागर के नेतृत्व में पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार एवं वन अनुसंधान संस्थान (FRI), देहरादून का शैक्षिक भ्रमण किया। इस यात्रा का उद्देश्य छात्रों को औषधीय सूक्ष्मजीव विज्ञान, औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी, वनस्पति रोग विज्ञान और पर्यावरणीय माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में, छात्रों ने के हर्बल गार्डन का दौरा किया, जहां डॉ प्रशांत एवं डॉ सुमित तिवारी इंचार्ज पतंजलि योगपीठ संस्थान, ने   छात्रों को विभिन्न औषधीय पौधों में उपस्थित एंडोफाइटिक बैक्टीरिया और फंगी की भूमिका को समझाया, जो फाइटोकेमिकल्स के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं, और औषधीय यौगिकों के संश्लेषण में सहायक होते हैं। इसके अतिरिक्त, छात्रों ने फर्मेंटेशन तकनीकों, प्रोबायोटिक्स उत्पादन, एंटीमाइक्रोबियल कंपाउंड्स की स्क्रीनिंग और बायोएक्टिव मेटाबोलाइट्स के विश्लेषण जैसी महत्वपूर्ण  प्रक्रियाओं का अवलोकन किया।

 

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इस दौरान शोधकर्ताओं ने यह बताया कि कैसे सूक्ष्मजीवों की सहायता से औषधीय पौधों से नए बायोएक्टिव यौगिकों का विकास किया जाता है, जो संभावित रूप से एंटीबायोटिक्स, एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य चिकित्सीय एजेंट्स के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके बाद, छात्रों ने वन अनुसंधान संस्थान (FRI), देहरादून का भ्रमण किया, जहां  डॉ मनोज कुमार   वैज्ञानिक ने छात्रों को फॉरेस्ट पैथोलॉजी लैब में वृक्षों को प्रभावित करने वाले रोगजनकों जैसे फंगी, बैक्टीरिया और वायरस के प्रभावों को समझाया.उन्होंने  बताया कि कैसे सूक्ष्मजीवों के उपयोग से वनस्पति रोगों का नियंत्रण किया जाता है और जैविक नियंत्रण (बायोकंट्रोल) पद्धतियों को विकसित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, छात्रों ने तकनीकी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, सिल्वीकल्चर, सोशल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स और एंटोमोलॉजी संग्रहालयों का भ्रमण किया, जहां उन्होंने जाना कि माइकोराइज़ा फंगी, जैव उर्वरक और लाभकारी सूक्ष्मजीव वृक्षों और पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में किस प्रकार योगदान देते हैं। भ्रमण के प्रभारी डॉ. दिनेश पंवार ने इस यात्रा को छात्रों के लिए औद्योगिक और शोध आधारित माइक्रोबायोलॉजी की व्यावहारिक समझ विकसित करने वाला अनुभव बताया, जिससे उन्हें प्रयोगशाला तकनीकों और प्राकृतिक उत्पादों में सूक्ष्मजीवों की भूमिका के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिली। वहीं, डॉ. लक्ष्मण नागर ने कहा कि यह यात्रा छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी रही, क्योंकि इससे उन्हें माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी के नए आयामों और पर्यावरणीय संरक्षण में सूक्ष्मजीवों की भूमिका की गहरी समझ प्राप्त हुई।

 

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इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे शोध-आधारित भ्रमण छात्रों को अकादमिक उत्कृष्टता एवं नवाचार की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं, जिससे वे सूक्ष्मजीव विज्ञान के व्यावसायिक और अनुसंधान आधारित अनुप्रयोगों को बेहतर तरीके से समझ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि शोध और नवाचार से जुड़े ऐसे अनुभव छात्रों के करियर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य बनाते हैं। छात्रों ने भी इस भ्रमण को अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया, जिससे उन्हें शोध, नवाचार और औद्योगिक माइक्रोबायोलॉजी की वास्तविक समझ मिली और उन्होंने इस उत्कृष्ट अवसर के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन, विभाग और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।

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