Monday, March 10, 2025

वाराणसी में ‘रंगभरी एकादशी’ को लेकर हुआ विवाद, पूर्व महंत के बेटे को मिला पुलिस का नोटिस, शोभायात्रा न निकालने की नसीहत

वाराणसी। रंगभरी एकादशी पर सोमवार को महंत आवास (टेढ़ीनीम) से बिना अनुमति के बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा को बाहर न निकालने की ताकीद की गई है। दशाश्वमेध पुलिस ने महंत पं. वाचस्पति तिवारी के पास नोटिस भेजा है। इसको लेकर श्रद्धालुओं के साथ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी एतराज जताया है।

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दशाश्वमेध पुलिस की ओर से महंत आवास पर भेजी गई नोटिस में कहा गया है कि पर्व के नाम पर बेवजह भीड़ न जुटाएं। बिना अनुमति के अपने घर से शिव-पार्वती की चल प्रतिमा की शोभायात्रा निकालकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक ले जाने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के निधन के बाद से मंदिर में व्यवस्था बदल गई है। श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने किसी बाहरी प्रतिमा को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है। इसके बावजूद रंगभरी एकादशी के अवसर पर महादेव और पार्वती की प्रतिमा को अपने घर से निकालकर जुलूस की शक्ल में श्री काशी विश्वनाथ धाम तक ले जाने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

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नोटिस में कहा गया है कि भीड़ के चलते यदि कोई प्रतिकूल परिस्थिति पैदा हुई अथवा हानि हुई तो इसकी क्षतिपूर्ति आयोजकों से की जाएगी। बिना अनुमति जुलूस अथवा शोभायात्रा निकालने पर विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।

नोटिस मिलने के बाद कार्यक्रम के संयोजक पं. भानु मिश्रा ने आपत्ति जताई। नोटिस मिलने पर महंत परिवार के सदस्यों ने नाराजगी जताई है। महंत परिवार ने कहा कि परंपराएं विशेष होती हैं अथवा व्यक्ति। यह परंपरा पूर्व महंत पंडित

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कैलाशपति तिवारी के समय से ही चली आ रही है। महंत परिवार ने कहा कि आवास पर गौरा के गौना की परम्परा से संबंधित सभी लोकाचार पूर्व की भांति होंगे। इस मामले की जानकारी सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी दी गई है। मंडलायुक्त और उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी बात रखी गई है।

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उधर, इस मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि 300 साल पुरानी परंपरा रुकनी नहीं चाहिए। काशीवासी इस परंपरा के अभिन्न अंग हैं। महंत परिवार को नोटिस भेजकर इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। काशीवासियों के सम्मान के लिए हम लड़ेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। अजय राय ने कहा कि बाबा विश्वनाथ जी की पालकी यात्रा पर भाजपा सरकार द्वारा रोक लगाना सनातनी परंपरा से खिलवाड़ है।

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काशी में 1664 से ये परम्परा निरंतर चलती आ रही है कि रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ जी मां गौरा संग पुत्र गजानन के साथ गौना कराते हैं। यह अनूठी परंपरा काशी में सदियों से चली आ रही है। पहले काठ की लकड़ी की पालकी पर यात्रा निकाली जाती थी। स्वर्गीय पंडित रामदत्त त्रिपाठी ने 1890 में पहली बार रजत सिंहासन पर पालकी यात्रा निकाली उसके बाद से इसी पालकी पर बाबा विश्वनाथ मां गौरा का गौना कराते हैं, जिसमें हर काशीवासी हर्षोल्लास के साथ शामिल होता है। इस वर्ष भाजपा की सरकार द्वारा इस परम्परा का निर्वहन परम्परागत तरीके से करने पर रोक लगाते हुए आयोजको को नोटिस देना काशीवासियों का अपमान है।

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