बाढ़ और आपदाओं पर बाबा रामदेव की चेतावनी: अंधाधुंध विकास रोको, पर्यावरण बचाओ

हरिद्वार। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और दिल्ली-एनसीआर समेत कई क्षेत्रों में बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं ने तबाही मचा रखी है। इसी के मद्देनज़र योग गुरु बाबा रामदेव ने गहरी चिंता जताते हुए सरकार और समाज को चेतावनी दी है कि यदि अब भी सबक नहीं लिया गया, तो आने वाली आपदाएँ और भी भीषण और लगातार होंगी।
“लोगों के घर, ज़िंदगियाँ, मवेशी और सपने—सब कुछ मिट्टी में मिल रहे हैं। पल भर में जीवन की सारी पूंजी खत्म हो रही है।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान आपदाओं की भयावहता के पीछे अंधाधुंध शहरीकरण, अवैध निर्माण, और पहाड़ों में पेड़ों की कटाई मुख्य कारण हैं।
बाबा रामदेव ने सरकार से मांग की कि ऐसे हालात में कड़े और तात्कालिक फैसले लिए जाएं। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण में संतुलन होना बेहद ज़रूरी है। पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की अंधाधुंध कटाई पर तत्काल रोक, मजबूत आपदा प्रबंधन तंत्र, और प्राकृतिक जल स्रोतों की पुनर्स्थापना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जब-जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की गई है, तब-तब उसका विकराल रूप देखने को मिला है। अब समय आ गया है कि पर्यावरणीय चेतना को विकास की धारा के साथ जोड़ा जाए।
इस बीच उत्तर भारत के कई राज्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। हज़ारों घर क्षतिग्रस्त, सड़कें व पुल बह गए, और खेत-खलिहान जलमग्न हो गए हैं। लोगों की आजिविका, पशुधन और भविष्य पर गहरा असर पड़ा है।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी चेताया है कि यदि अवैज्ञानिक विकास और जंगलों की कटाई इसी तरह जारी रही तो भारत को हर वर्ष इस तरह की आपदाओं से जूझना पड़ेगा।