आचरण की पवित्रता बनाए रखना हर व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। इसके लिए आवश्यक है कि हम निरंतर आत्म निरीक्षण करते रहें। दूसरों की कमियां निकालना बहुत आसान है, लेकिन सच्ची शक्ति तो तब है जब हम वही ध्यान अपनी कमियों को पहचानने और उन्हें सुधारने में लगाएं।
जब हम स्वयं पर दृष्टि डालते हैं और अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करते हैं, तो न केवल हमारा मन शांत रहता है बल्कि हमारे आसपास के लोग भी प्रसन्न रहते हैं। यह केवल कहने की नहीं, बल्कि अपने जीवन में उतारने की बात है।
यदि हमारी कथनी और करनी में अंतर आ जाता है, तो धीरे-धीरे हम अपने आप से और दूसरों से दूर होने लगते हैं। ऐसा होने पर आत्म-सम्मान भी घटने लगता है। आत्म निरीक्षण ही वह साधन है जो हमें इस स्थिति से बचा सकता है।
एक सरल उपाय यह है कि हम प्रतिदिन अपने दिनभर के कार्यों की समीक्षा करें। देखें कि कहीं हमारे व्यवहार या वचनों से किसी को ठेस तो नहीं पहुँची, किसी को दुख तो नहीं हुआ। यदि हम ईमानदारी से यह अभ्यास कर लें, तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में सुख, शांति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।