Friday, February 21, 2025

पर्यावरण संत राम बाहुबली बाबा पहुंचे महाकुंभ, साइकिल यात्रा से दे रहे हरियाली का संदेश

 

प्रयागराज। महाकुंभ में जहां अध्यात्म और आस्था का संगम देखने को मिल रहा है, वहीं पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य से पर्यावरण संत राम बाहुबली बाबा ने महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। बाहुबली बाबा ने अपनी अनूठी साइकिल यात्रा के जरिए हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का संकल्प लिया है।

 

 

राम बाहुबली बाबा महाकुंभ में साधारण तरीके से आए हैं। वह साइकिल पर यात्रा करते हुए प्रयागराज पहुंचे, जहां उन्होंने पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया। बाबा का कहना है कि साइकिल चलाना पर्यावरण को संरक्षित करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।

 

 

मुजफ्फरनगर में डीएम की प्रोफाइल पिक्चर लगाकर रुपए मांगने का प्रयास, साइबर अपराधियों का दुस्साहस

महाकुंभ के दौरान बाबा ने लोगों को अधिक से अधिक पौधे लगाने और पेड़ों की देखभाल करने का संदेश दिया। उनका कहना है कि पर्यावरण का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है और हम सभी को इसमें अपना योगदान देना चाहिए। बाबा ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपनी धार्मिक आस्था को पर्यावरणीय आस्था से भी जोड़ें।

 

मुजफ्फरनगर में बिना लाइसेंस के औषधि विक्रय प्रतिष्ठान पर छापामार कार्रवाई

 

राम बाहुबली बाबा का सादा जीवन और उनके विचार लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। बाबा साइकिल यात्रा के दौरान विभिन्न गांवों और शहरों में लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है हरियाली को बढ़ावा देना और ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए जनमानस को प्रेरित करना।

 

महाकुंभ में बाबा के इस अनूठे प्रयास को श्रद्धालुओं ने खूब सराहा। बाबा का मानना है कि अगर हर व्यक्ति एक पौधा लगाए और उसकी देखभाल करे, तो पृथ्वी को हरियाली से लबालब किया जा सकता है।

महाकुंभ के इस पावन अवसर पर बाबा का यह प्रयास समाज के लिए प्रेरणादायक है और पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय