Monday, April 14, 2025

‘पहले क्षत्रिय समाज का अपमान, अब कांशीराम का उड़ा रहे मजाक’, भाजपा का अखिलेश पर वार

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशीराम का कथित तौर पर मजाक उड़ाने और दलित समुदाय का “अपमान” करने का आरोप लगाया। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अखिलेश यादव का एक वीडियो साझा किया और उन पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने और कांशीराम का अपमान करने का आरोप लगाया।

 

 

हनुमान जयंती पर पीएम मोदी-सीएम योगी के लिए वाराणसी में विशेष पूजा, चढ़ाई 45 फीट की तुलसी माला

 

मालवीय ने लिखा, “अखिलेश यादव ने पहले राणा सांगा को गद्दार कहने वाले सपा सांसद के बयान का समर्थन कर क्षत्रिय समाज का अपमान किया। अब वे दलित समाज के पथ-प्रदर्शक कांशीराम जी का उपहास कर रहे हैं, केवल उन्हें मुलायम सिंह से छोटा दिखाने के लिए। यह कहना कि कांशीराम चुनाव नहीं जीत पा रहे थे और सपा ने उन्हें जिताया, पूरे दलित समाज का अपमान है। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू समाज के हर वर्ग से आपको दुर्गंध आने लगी है।

 

मुजफ्फरनगर में युवक का शव मिला, हत्या की आशंका

 

‘सेक्युलरिज्म’ नाम की इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है।” दरअसल यह विवाद तब पैदा हुआ जब अखिलेश यादव ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा, “यह इतिहास है, लेकिन यह भी सच है कि अगर किसी ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक को लोकसभा में पहुंचाया था तो वे यहां के मतदाता ही थे जिन्होंने उन्हें लोकसभा में पहुंचाया था। वह कहीं से भी जीतने में असमर्थ रहे।” उन्होंने कहा, “इतिहास में दर्ज है कि उस समय अगर किसी ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम को जिताने में मदद की थी तो वह नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और समाजवादी लोग थे, जिन्होंने उन्हें लोकसभा में पहुंचाने में मदद की थी।”

मोरना में हादसे में घायल युवक ने अस्पताल में तोड़ा दम

 

यह भी पढ़ें :  विश्व नमोकार महामंत्र दिवस पर बोले सीएम योगी – जैन धर्म की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक

आपको बता दें कि कांशीराम पहली बार 1991 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत इटावा से लोकसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान सपा-बसपा का गठबंधन उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ, जिसने भाजपा के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ पिछड़ी जातियों और दलितों को एकजुट किया। हालांकि, 1995 के कुख्यात गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूट गया, जहां सपा कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मायावती पर हमला किया था। इन सब विवादों के बावजूद, 1991 में कांशीराम की लोकसभा जीत ने उनकी राजनीतिक विरासत को मजबूत किया और बसपा को एक राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित किया।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय