Wednesday, March 26, 2025

नोएडा में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ परमाणु व रेडियोधर्मी पदार्थों की हैंडलिंग पर पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

नोएडा। एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा बेंगलुरु के राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान के साथ मिलकर आज से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी पदार्थों की हैंडलिंग नामक विषय पर नोएडा परिसर में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शुरू हुआ।

 

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29 मार्च तक आयोजित इस कार्यशाला में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नारकोटिक्स अकादमी और कर्नाटक पुलिस जैसी विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के कुल 26 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का शुभारंभ बेगलुरू के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (एनआईएएस) के विजिटिंग साइंटिस्ट डॉ. एम. साईं बाबा, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा. डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की निदेशक डा. अल्पना गोयल द्वारा किया गया।

 

 

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कार्यक्रम के दौरान डॉ. एम. साईं बाबा ने कहा कि यह कार्यशाला राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों विषय विशेषज्ञों, विभिन्न सुरक्षा बलों के वरिष्ठ नेतृत्व और एमिटी के पेशेवरों के संयुक्त और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। डॉ. डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने वर्तमान युग में इस तरह की कार्यशालाओं की प्रासंगिकता पर जोर दिया और बताया कि किस तरह एआईएनएसटी, एयूयूपी विभिन्न मोर्चों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि परमाणु और रेडियोधर्मी पदार्थ कृषि, चिकित्सा, उद्योग, खाद्य प्रौद्योगिकी और ऊर्जा उत्पादन सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा संक्रमण रणनीति के हिस्से के रूप में परमाणु ऊर्जा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम पर जोर देता है, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) में अनुसंधान और विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए परिचालन एसएमआर होना है। यह पहल 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता तक पहुँचने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और दीर्घकालिक ऊर्जा स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 

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पांच दिवसीय इस कार्यशाला में रेडियो रसायन विज्ञान और आइसोटोप समूह, बीएआरसी, मुंबई, के निदेशक और एनसीपीडब्ल्यू, डीएई के वैज्ञानिक और पूर्व प्रमुख डॉ. केएल रामकुमार, मध्य प्रदेश कैडर के सेवानिवृत्त महानिदेशक अनिल कुमार, एलडब्ल्यूआरएस, एनपीसीआईएल के वैज्ञानिक और पूर्व कार्यकारी निदेशक (ऑपरेशन) आरएस सुंदर, यूएसए के ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी (ओआरएनएल) के आर एंड डी वैज्ञानिक डॉ. सुनील एस. चिरायथ सहित अन्य वैज्ञानिक अपने विचार व्यक्त करेंगे।

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