गाजियाबाद। म्यामांर में बंधक बनाकर रखे गए 530 भारतीय आईटी पेशेवरों को छुड़ाकर लाया गया है। विशेष विमान से पहले सोमवार को 283 और फिर मंगलवार की रात 247 हिंडन एयरपोर्ट लाए गए हैं। इन सभी को साइबर अपराधियों ने कैद कर रखा था। अपराधी इनसे ही साइबर ठगी के लिए काॅल कराते थे। इनके पासपोर्ट समेत सभी दस्तावेज जब्त कर लिए गए थे। जो साइबर अपराध करने का विरोध करता, उसे यातनाएं दी जातीं।
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इसकी जानकारी मिलने पर विदेश मंत्रालय के सहयोग से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी वतन वापसी कराई है। सभी से गाजियाबाद स्थित सीबीआई अकादमी में पुलिस, सीबीआई और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। सोमवार की शाम लाए गए सभी आईटी पेशेवर को मंगलवार को उनके घर भेज दिया गया।
मंगलवार की रात पहुंचे लोगों से पूछताछ की जा रही है। ये 530 लोग 17 राज्यों के रहने वाले हैं। इनमें 14 महिलाएं हैं। यूपी के कुल लोगों की संख्या 53 है। सभी लोगों को म्यामांर म्यावाड़ी शहर में रखा गया था। कोई एक साल से बंधक था तो कोई छह महीने से। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी सभी को छुड़ाने के बाद पहले विमान से थाईलैंड के माईसोत शहर ले गए। वहां से सी-17 जहाज से हिंडन एयरपोर्ट लाया गया। हिंडन पर सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त किए गए थे डीसीपी नगर राजेश कुमार के नेतृत्व में गाजियाबाद पुलिस के साथ सीआरपीएफ को भी लगाया गया था। एयरपोर्ट से सभी को बस से सीबीआई अकादमी ले जाया गया। पूछताछ पूरी होने के बाद घर भेजा जा रहा है।
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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहले दिन लाए गए 283 लोगों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें आईटी क्षेत्र में ही नौकरी देने के बहाने म्यांमार बुलाया गया था। इसके लिए साइबर अपराधियों की एक एजेंसी काम करती है। एजेंसी म्यांमार में साइबर सिक्योरिटी आफिसर, डाटा विश्लेषक, एआई एक्सपर्ट जैसे पद बताकर नौकरी के लिए बुलाती है।
वहां पहुंचते ही बंधक बना लिया जाता है। सबसे पहले दस्तावेज छीन लिए जाते हैं। इसके बाद साइबर अपराध कराया जाता है। जो मना करे, उसे भूखा-प्यासा रखा जाता है। राजी होने तक यातनाएं दी जाती हैं। परिवार से भी बात नहीं करने देते थे। कुछ लोगों ने किसी तरह इसकी शिकायत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से की। इसके बाद इन्हें बंधन मुक्त कराकर वतन वापसी कराने का आपरेशन शुरू हुआ।