दिनभर की भागमभाग, मानसिक थकान, वायु प्रदूषण, खुश्की और सिरदर्द का उत्तम इलाज है मालिश। प्राचीन काल में सिर की मालिश को विशेष महत्व दिया जाता था।
आज के दौर में केशों की बढ़ती समस्याओं से कुछ हद तक निजात पाने के लिए सिर की मालिश अवश्य की जानी चाहिए। मालिश के लिए किसी भी अच्छे किस्म के तेल का प्रयोग किया जा सकता है जैसे नारियल, सरसों, बादाम, तिल, अरंडी, जैतून, आंवले का तेल आदि।
यदि कामकाजी महिलाएं तेल लगे सिर से कार्यालय न जाना चाहें तो भी सप्ताह में एक या दो बार तेल की मालिश करके कुछ घंटों के अंतराल पर सिर धो सकती हैं।
मालिश के लिए प्रयोग किए जाने वाले तेल को किसी छोटे बरतन में अलग से गुनगुना करके इस्तेमाल किया जाए तो लाभ की संभावना अधिक होती है।
तेल की मालिश से पूर्व केशों में भली प्रकार कंघी करें, केशों को उलझने न दें। अब गुनगुने तेल को केशों की जड़ों में लगाया जाना चाहिए। केशों के छोर तेल रहित भी हों तो भी संपूर्ण सिर में तेल लगाने के बाद कंघी करने पर तेल केशों की जड़ों तक स्वत: ही पहुंच जाता है।
केशों को बेतरतीबी से उलटने-पलटने की अपेक्षा उनकी छोटी-छोटी मांगें निकालते हुए रूई के फाहे द्वारा तेल लगाया जाना चाहिए। संपूर्ण सिर में तेल लग जाने के बाद घर के किसी सदस्य की मदद लेकर सिर की मालिश कराई जानी चाहिए।
मालिश के लिए कीटाणुनाशक साबुन से हाथों को साफ किया जाना चाहिए। मालिश हल्के हाथों से की जानी चाहिए, न कि केशों को तोड़ते-खींचते हुए।
ऐसे करें सिर की मालिश:
सर्वप्रथम सामने की ओर माथे के पास से सिर की मालिश की जानी चाहिए।दोनों हाथों की मध्यमा व अनामिका को गोल-गोल घुमाकर उंगलियों को कानों के पास केशों की रेखा के पास रखते हुए नीचे से ऊपर सिर के मध्य तक ले जाते हुए मालिश करें।
अब इसी स्थिति में उंगलियों को केशों की रेखा से 2.5 सेंमी. पीछे टिकाकर पूर्व स्थिति के अनुसार उंगलियां गोल-गोल घुमाएं।
अब इस स्थान से 2.5 सेंमी. पीछे उंगलियां टिकाकर पूर्व स्थिति में मालिश करते हुए उंगलियां सिर के बिल्कुल मध्य तक ऊपर लाएं।
दोनों हाथों की अनामिका व मध्यमा को सिर के मध्य के हिस्से से धीरे-धीरे खिसकाते हुए कानों के पास लाएं। दोनों हाथों के अंगूठे सिर के मध्य ऊपर टिकाकर रखें।
अब दोनों हाथों की आठों उंगलियों को सिर के मध्य बिल्कुल ऊपर फैलाकर टिकाते हुए दोनों हाथों के अंगूठों को गर्दन के पास केशों की जड़ों के अंतिम सिरे पर रखकर धीरे-धीरे अंगूठों को ऊपर की तरफ फिसलाएं।
दायां हाथ सिर के सामने की ओर माथे को छूते हुए रखें और बाएं हाथ को सिर के पीछे की ओर टिकाएं। अब दोनों हाथों को धीरे-धीरे आगे-पीछे ले जाएं।
ध्यान रखें, सिर की मालिश के दौरान केश हाथों में उलझकर टूटें नहीं। हाथों का दबाव भी सिर पर सामान्य हो, न बहुत अधिक हो और न बहुत कम। मालिश के बाद केशों की जड़ों में भाप दें।
यदि स्टीमर उपलब्ध नहीं है तो एक भगोने में पानी गरम करें। उसमें तौलिया भिगोएं और निचोड़कर गुनगुना तौलिया सिर पर लपेट लें। ऐसा करने से तेल जड़ों के अंदर प्रवेश कर जाएगा।
सिर में भाप लेने से गंदगी के कण बाहर निकल जाते हैं। भाप लेते वक्त तौलिया ठंडा हो जाने पर गरम पानी में दोबारा डुबोकर निचोड़कर लगाएं। भली प्रकार से भाप लेने के कुछ समय बाद शैंपूू कर लें। शैंपू के बाद केशों में कंडीशनिंग भी अवश्य करें।
नियमित रूप से सिर की मालिश की जाए और मालिश के उपरांत केशों में भाप दी जाए तो इनसे संबंधित कई रोगों व दुष्परिणामों से बचा जा सकता है, साथ ही काले, चमकदार केशों की स्वामी बना जा सकता है, वाहवाही बटोरने के लिए।
– नरेंद्र देवांगन