मुंह सूखना सिर्फ डिहाइड्रेशन नहीं, गंभीर रोगों का संकेत भी, आयुर्वेद से जानें समाधान
नई दिल्ली। क्या आपका भी मुंह सूखता है और बार-बार प्यास लगती है? तो ये गंभीर रोगों का लक्षण हो सकता है। अक्सर लोग इस बड़े संकेत को प्यास, डिहाइड्रेशन या मौसम के बदलाव का कारण मानकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन यह साधारण समस्या नहीं है। आयुर्वेद में इसे मुख शोष कहा जाता है, जो खतरनाक है। आयुर्वेद के पास इसका समाधान है। आयुर्वेद बताता है कि मुख शोष वात-पित्त असंतुलन, अग्नि दोष और रस धातु की कमी का संकेत हो सकता है।
वहीं, मेडिकल साइंस का मानना है कि मुंह सूखने के मुख्य कारण शरीर में पानी की कमी, ज्यादा चाय-कॉफी, तंबाकू या शराब का सेवन, तनाव-चिंता, नींद की कमी, कुछ दवाओं का लंबा इस्तेमाल और सर्दियों में कम पानी पीना है। लार की कमी से मुंह में बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। तनाव में सिम्पैथेटिक नर्व लार ग्रंथियों को दबाती है। मुंह से सांस लेने से लार जल्दी सूखती है। रात में मुंह सूखना डायबिटीज या स्लीप एप्निया का संकेत हो सकता है। कुछ दवाएं (एलर्जी, बीपी, एंटी-डिप्रेसेंट) लार कम करती हैं। जीभ पर सफेदी भी इसका लक्षण है। आयुर्वेद इस समस्या से निपटने के सुझाव देता है। सुबह खाली पेट आधा चम्मच देसी घी का गुनगुने पानी के साथ सेवन रस धातु को पोषण देता है। आधा चम्मच शहद के साथ मुलेठी चूर्ण चूसें, यह लार बढ़ाता है।
1 चम्मच तेल 5-7 मिनट मुंह में घुमाएं, यह लार ग्रंथियां सक्रिय करता है। रोजाना 25 से 30 एमएल आंवला रस के सेवन से पित्त शांत होता है। सौंफ-धनिया को रातभर भिगोकर सुबह पिएं, यह पानी आंतरिक शुष्कता कम करता है। नस्य कर्म या सुबह 2 बूंद गाय का घी नाक में डालने से फायदा मिलता है। इसके अलावा, दूध, नारियल पानी, मुनक्का और खीरा जैसे शीतल आहार को शामिल करें। इससे वात-पित्त संतुलित होता है। आयुर्वेदाचार्य का मानना है कि मुंह सूखने को अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह छुपी बीमारियों का शुरुआती संकेत हो सकता है। आयुर्वेदिक उपाय को अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, आराम न मिलने पर वैद्य से संपर्क करना चाहिए।
