सम्मान चाहते हो तो सत्य का पक्ष लो असत्य को नकार दो। अपने बड़ेपन को छोड़ अहंकार का विसर्जन कर छोटो से, बड़ों से सबसे सद्व्यवहार करें।
आपकी बात का कोई खंडन करे तो क्रुद्ध तथा अप्रसन्न न हो। जो कोई कुछ कहे उसे ध्यान से सुनो, उसकी समीक्षा करो, जो असत्य लगे उसका खंडन अवश्य करे।
तार्किक दृष्टि से जो सत्य हो उसे स्वीकार करने में तनिक संकोच न करो। इसमें कोई छोट-बड़ाई न करे, क्योंकि छोटा माने जाने वाला आदमी भी सत्य और तर्क संगत बात कह सकता है। उसे स्वीकार कर लेने में आपका बड़प्पन ही परिलक्षित होगा।
पूरे सोच-विचार के साथ बोला गया ‘नहीं’ दूसरों की प्रसन्नता प्राप्त करने अथवा समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गये ‘हां’ से बेहतर है।
बिना मांगे कभी अपनी राय न दें। सर्व हित का ध्यान रखें। सज्जनों का संग करे, दुष्ट लोगों से दूरी बनाकर रखें। कोई भी संकल्प अथवा व्रत सत्य के विरूद्ध न हो।
वाणी के धनी बनो, जिससे सभी आपको विश्वासी माने, सत्य का पक्षधर माने, जो सत्य आपके हृदय में है, उसे कहने का साहस रखो।
जो दूसरों के हृदय में है, उसे परखने की समझ रखो। कभी मानवता के विरूद्ध कोई कार्य न करो।