ग्राम प्रधान ने आरोप लगाया था कि खसरा नंबर 1993 और 1998 की भूमि पर गांव के ही एक पूर्व प्रधान समेत कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। यह भूमि सार्वजनिक आयोजनों जैसे मेले आदि के लिए निर्धारित है, लेकिन उसे किराए पर देकर लाखों रुपये की अवैध वसूली की जा रही थी।
यूपी में 25 डिप्टी एसपी के तबादले, शामली से श्रेष्ठा ठाकुर बागपत भेजीं, तनु उपाध्याय को पीएसी भेजा
उप जिलाधिकारी जानसठ के निर्देश पर नायब तहसीलदार बृजेश कुमार की अगुवाई में लेखपाल विकेश कुमार, प्रवीण कुमार और हिमांशु श्रीवास्तव की टीम ने मौके पर पहुंचकर दस्तावेजों के आधार पर भूमि की पहचान की और उसे कब्जा मुक्त कर बोर्ड लगाया।
कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध जताते हुए दावा किया कि मामला न्यायालय में लंबित है, लेकिन वे कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। पुलिस की मौजूदगी में विरोध करने वालों को शांति से समझा-बुझाकर हटाया गया।
ग्राम प्रधान राजेंद्र कुमार ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए मांग की कि जिन्होंने इस भूमि से आर्थिक लाभ कमाया है, उनसे वह राशि वसूली जाए।
दूसरे पक्ष ने लगाया प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
हालांकि, इस कार्रवाई के बाद मामला और उलझ गया जब आज दूसरे पक्ष के लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और दावा किया कि प्रशासन ने उनकी निजी भूमि पर अवैध रूप से कार्रवाई की है। इरफान अली नामक व्यक्ति ने कहा कि गांव के भीतर उनकी 6 बीघा भूमि पर वह वर्षों से कोल्हू चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस साल कोल्हू नहीं चलाया गया, क्योंकि कुछ लोगों ने इसे ग्राम पंचायत की भूमि बता विवाद खड़ा कर दिया।
मुज़फ्फरनगर में भ्रष्टाचार के खिलाफ किसानों की जंग जारी, भूख हड़ताल पर अड़े ठाकुर पूरन सिंह
इरफान अली का आरोप है कि तहसील प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी जमीन पर सरकारी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया, जबकि इस भूमि पर वर्ष 1997 से हाईकोर्ट का स्थगन आदेश (स्टे ऑर्डर) प्रभावी है, जिसे उन्होंने 2024 में नवीनीकृत भी कराया है।
मुजफ्फरनगर में बाइक पर साइलेंसर और लाल-नीली बत्ती की होगी चैकिंग, एसएसपी ने शुरू कराया विशेष अभियान
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पहले ही जिलाधिकारी और एसडीएम जानसठ को सभी दस्तावेज सौंपे जा चुके हैं। अब पुनः एक प्रार्थना पत्र सौंपकर न्यायिक आदेश आने तक बोर्ड हटाने की मांग की गई है। ग्रामीणों की ओर से भी यह मांग उठाई गई कि जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है, तब तक प्रशासन कोई अंतिम कार्रवाई न करे।
जिलाधिकारी ने इस पूरे विवाद की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है और कहा है कि कानून सम्मत प्रक्रिया के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।