मुजफ्फरनगर- भारतीय जनता पार्टी में ‘एक अनार सौ बीमार’ वाली स्थिति बनी हुई है, वहीं विपक्ष में सपा-रालोद-आसपा गठबंधन में भी कई जगह टिकट को लेकर मारामारी मची हुई है। जिले की दो नगर पालिका परिषद और आठ नगर पंचायतों में अभी तक यह भी निर्धारित नहीं हो पाया है कि किस सीट पर कौन सा दल अपना प्रत्याशी उतारेगा।
गुरुवार को तीनों प्रमुख दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सपा के अखिलेश यादव, रालोद के जयंत चौधरी और आसपा के चंद्रशेखर आज़ाद कल से इंदौर में थे और इनकी आपस में चर्चा भी हो गयी है कि मुजफ्फरनगर की 10 सीट में से कौन सी किस दल के खाते में जाएगी। सपा ने जहाँ अपने जिलाध्यक्ष को सिंबल लेने के लिए शनिवार सुबह लखनऊ बुला लिया है ,वही रालोद-सपा-आसपा में शनिवार सुबह यह स्पष्ट होगा कि कौन सा दल किस सीट से लड़ेगा।
मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद के लिए समाजवादी पार्टी अपने प्रमुख नेता राकेश शर्मा की पत्नी लवली शर्मा को प्रत्याशी बनाने का निर्णय कर चुकी है जिसकी अधिकृत घोषणा होना बाकी है लेकिन खतौली और बुढ़ाना जैसी कुछ अन्य सीटें हैं, जिनको लेकर पार्टी में विवाद की स्थिति बनी हुई है। सपा की तरफ से शहर से लवली शर्मा का नाम तय है लेकिन रालोद का एक खेमा लवली की घोषणा से सहज नहीं है, शहर के अलावा बुढ़ाना पर भी अभी विवाद की स्थिति बनी हुई है।
पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और दिग्गज नेता प्रमोद त्यागी बुढ़ाना नगर पंचायत से अपने भाई सुबोध त्यागी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं वहीं रालोद के पूर्व सांसद राजपाल सैनी अपने समर्थक को खतौली से रालोद के सिंबल पर मैदान में उतारना चाहते हैं। पार्टी में राष्ट्रीय महामंत्री बनने के बाद प्रभावी हुए पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक दोनों की राह के रोड़े बने हुए हैं। हरेंद्र मलिक खतौली की सीट सपा के पास रख कर अपने समर्थक को टिकट दिलाना चाहते हैं, बदले में बुढ़ाना की सीट रालोद के कोटे में डलवाना चाहते हैं जिसको लेकर पार्टी में उथलपुथल मची हुई है। पुरकाजी, भोकरहेड़ी और जानसठ में से दो आजाद समाज पार्टी के हिस्से में जा सकती है। चरथावल सीट सपा के खाते में जाएगी, शाहपुर की सीट को लेकर भी सपा रालोद दोनों के दावे हैं। मीरापुर और सिसौली सीट पर रालोद के दावे को ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।
मुजफ्फरनगर शहर के 55 वार्ड में सभासदों के लिए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में गठबंधन में तनातनी बनी हुई है। पार्टी के सभी पुराने नेता अपने समर्थकों को इन इलाकों से चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जिसको लेकर सर्वसम्मति अभी नहीं बन पा रही है।
बहुजन समाज पार्टी में शहर से इंतजार प्रधान प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं, वही नगर पालिका परिषद की निवर्तमान अध्यक्ष अंजू अग्रवाल वैसे तो तकनीकी रूप से अभी भारतीय जनता पार्टी में है, जहां भाजपा से उन्हें टिकट मिलने की कोई संभावना नहीं है, ऐसी स्थिति में वह किसी भी विपक्षी दल से मैदान में उतर सकती हैं। माना जा रहा है कि अंजू अग्रवाल किसी ना किसी पार्टी से शहर में चुनाव जरूर लड़ने का मन बना रही है। बीजेपी के कई बागी नेता भी बसपा के संपर्क में है। इनमे एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी शामिल है।
फिलहाल सभी विपक्षी दलों की नज़र भारतीय जनता पार्टी की घोषणा पर टिकी है, जिसके बाद इनके बागियों में से विपक्ष अपने लिए दमदार प्रत्याशियों को चुनकर मैदान में उतारेंगे। शहर में ओवैसी की एएमआईएम भी मुस्लिम इलाकों में बड़ा खेल करने के लिए अपने प्रत्याशियों को उतारने की तैयारी कर रही है।