गत कुछ वर्षों से हिंदू त्योहारों में कुट्टू का आटा एक विलन बनकर दिखने लगा है। व्रत के दूसरे-तीसरे दिन खबरें आती ही हैं कि कुट्टू के आटे से बने फलाहार से इतने लोग यहां इतने लोग यहां बीमार हुए। अभी महाशिवरात्रि पर भी दिल्ली एनसीआर के अंदर सैकड़ों लोगों को विभिन्न अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। नोएडा के एक ही होस्टल में 250+ विद्यार्थी, दिल्ली में शादी में आए दर्जनों लोग तथा ष्टक्रक्कस्न जवान भी इसकी चपेट में आए।
प्रश्न उठता है कि क्या कुट्टू के आटे की निर्माण में दोष है या भंडारण में, विक्रेताओं की गड़बड़ी है या फिर उसके पकवान बनाने वाले ने ही सावधानी नहीं बरती!! स्मरण रहे कि पुराना कुट्टू आटा फूड प्वाइजनिंग का कारण बनता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि इस आटे का सुरक्षित जीवन (E&piry) एक-डेढ़ महीने ही है। हो सकता है कि कुछ दुकानदार या उपभोक्ता पिछले त्यौहार पर खरीदे इस आटे को महिनों बाद अब प्रयोग कर रहे हों? त्योहारों की पवित्रता व लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु आवश्यक है कि इसकी कमियों को @fssaiindia @MoHFW_INDIA गंभीरता से जांच कर दोषियों को दण्डित कराए तथा जनता को जागरूक करने हेतु भी अविलम्ब आवश्यक कदम उठाए। आवश्यक हो तो कुट्टू के आटे की खुले में बिक्री प्रतिबंधित कर निर्माता के नाम तथा निर्माण व एक्सपायरी की तिथि अंकित सिर्फ पैक्ड फूड पैक में ही यह आटा बेचा जाए।
कुट्टू के आटे की जगह व्रत में फलों तथा अन्य वैकल्पिक खाद्य सामग्री का उपयोग भी श्रद्धालुओं को इस संकट से बचा सकता है। ध्यान रहे कि त्यौहारों में सात्विकता, समर्पण व श्रद्धा के साथ पूर्ण सावधानी भी जरूरी है।
-विनोद बंसल