मुजफ्फरनगर। वाणी साहित्यिक संस्था की मासिक गोष्टी आदर्श कॉलोनी स्थित अमेरिकन इंस्टिट्यूट में आयोजित की गई। जिसमें बृजेश्वर सिंह त्यागी ने अध्यक्षता की व सुनील कुमार शर्मा (सचिव) ने संचालन किया और आयोजक रामकुमार शर्मा रागी रहे।
कवि राहुल वशिष्ठ (छपार) ने देश के वीरों के लिए गीत पढ़ा…
मानूंगा एहसान पवन, तू तनिक वेग से जाना। आंसू आंखों में ना लाएं, मेरी मां से कहना … तेरा लाल अमर हो गया।।
पंकज शर्मा करहेड़ा ने अपनी रचना कुछ इस प्रकार पढ़ी…
हम रह गए खड़े सभी रास्ते गुजर गए।
जैसे कि टूट शाखों से पत्ते बिखर गए ।।
पंडित राजीव भावाज्ञ शामली ने अपने विचार को कुछ इस प्रकार प्रकट किया …
भरता था जहां एक कुएं से पानी आधा गांव ।
स्मृतियों में बसा हुआ है वह विगतागत गांव।।
आयोजक रामकुमार शर्मा रागी भोकरहेड़ी ने अपनी रचना इस प्रकार पढ़ी…
गर्दिशों ने आज तक पीछा मेरा छोड़ा नहीं, फिर भी मैंने दिल किसी का देख लो तोड़ा नहीं।।
सचिव सुनील कुमार शर्मा ने मानवता के ऊपर अपनी कविता पढ़ी….
पृथ्वी पर है मानवता, तो है मानव का सम्मान। दानवता को भी क्षमा करें, नहीं करें किसी का अपमान ।।
संतोष शर्मा फलक ने कहा…बस यही गम जो मुझे मरने नहीं देता कभी, कौन तेरी जुल्फ सवारेगा मेरे जाने के बाद।।
कवित्री सुनीता सोलंकी मीणा ने कहा….याद तेरी में मेरा दिन ही गुजर जाएगा।
और तेरे ख्याल में मेरा शामों और सहर जाएगा।
विजय गुप्ता ने कुछ यूं कहा…आओ सब मिलकर सूरज के घर जाएं। तनिक तो उनको समझा कर आएं ।
क्यों दिखाते इतने तीखे तेवर, सहे हमसे ना जाएं।।
शायर अब्दुल हक सहर ने अपनी शायरी कुछ इस प्रकार की… प्रेम की भाषा अगर रचनाओं में शामिल करें, नफरतें टकरा के मर जाएं, कलम की धार से शायर मुकेश दर्पण ने अपनी उम्दा गजल पेश की…
कम से कम इतना तो मेरी याद होना चाहिए, नफरतों में भी जरा सा प्यार होना चाहिए।
इस साहित्यिक गोष्ठी में राहुल वत्स, पंकज शर्मा, सुनीता सोलंकी, संतोष कुमार शर्मा, मीरा भटनागर विजया गुप्ता, मुकेश दर्पण, मनु स्वामी आदि कवियों ने सहभागिता की। अंत में आयोजक रामकुमार रागी ने सबका आभार प्रकट किया।