नोएडा। स्वास्थ्य विभाग जनपद के दस स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी-पीएचसी) पर एक नामी कंपनी के सहयोग से मदर-न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) बनाएगा। एमएनसीयू के निर्माण में कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब (सीईएल) का वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग रहेगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार शर्मा ने दी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया- एमएनसीयू में कम वजन के नवजात शिशुओं को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाएगा, जिसमें माता की विशेष देखरेख में इन शिशुओं को उपचार दिया जाएगा। जनपद में दस स्वास्थ्य केन्द्रों पर एमएनसीयू वार्ड का निर्माण होने से शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। वार्ड में कम वजन वाले बच्चे भर्ती रहकर अपना शारीरिक विकास कर सकेंगे।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनजीत कुमार ने बताया- जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बादलपुर, भंगेल, बिसरख, दादरी, जेवर, डाढा और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) दनकौर, रुबुपुरा व बरौला पर एमएनसीयू बनायी जाएंगी। उन्होंने बताया- एक नामी कंपनी इसके निर्माण में सहयोग करेगी। उम्मीद है कि इस संबंध में इसी माह मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (समझौता पत्र) साइन हो जाएगा। उन्होंने बताया- कंपनी की ओर से सेक्टर 39 स्थित जिला अस्पताल, सीएचसी भंगेल और पीएचसी बरौला का मौका मुआयना कर लिया गया है। मनजीत कुमार से बताया एमएनसीयू के निर्माण में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग सीईएल का रहेगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. भारत भूषण ने बताया- जनपद में जिला अस्पताल सहित 12 स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। इनमें से दस केन्द्रों पर मदर एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट बनाए जाएंगे। एमएनसीयू बनने से कम वजन के नवजात शिशुओं को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाएगा, जिसमें माता की विशेष देखरेख में नवजात शिशुओं को उपचार उपलब्ध होगा। इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। जनपद में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर माह करीब 800-900 प्रसव होते हैं।
क्या है एमएनसीयू
डॉ. भारत भूषण ने बताया कि मदर-न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) एक विशेष प्रकार की इकाई है। यह कंगारू मदर केयर (केएमसी) से प्रेरित है। जिस प्रकार मादा कंगारू अपने शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी थैली में नवजात को सीने से लगाकर रखती है, उसी प्रकार माता उन नवजातों को जिनका जन्म समय पूर्व हो जाता है या जो नवजात जन्म के समय कम वजन के होते हैं, उनको उनकी माता एक विशेष कक्ष में अपने सीने से लगाकर रखती हैं। एमएनसीयू में केएमसी देते हुए सभी उपचार किए जाते हैं। इससे बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य रहता है, संक्रमण कम होता है, स्तनपान भी जारी रहता, मां व शिशु के बीच बॉन्डिंग बनें और उनकी जान बच सके। यहां मां एवं नवजात दोनों को एक साथ बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है।