मन की बात: पीएम मोदी ने महर्षि वाल्मीकि को किया याद, 7 अक्टूबर को खास तरीके से जयंती मनाने की अपील

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में महर्षि वाल्मीकि को याद किया। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ हैं। उन्होंने रामायण जैसे महान ग्रंथ के माध्यम से भगवान राम की कथाओं को जन-जन तक पहुंचाया। पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के साथ-साथ निषादराज और महर्षि वाल्मीकि के मंदिरों के निर्माण का जिक्र करते हुए लोगों से इन मंदिरों के दर्शन करने का आग्रह किया।
'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अगले महीने 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती है। हम सब जानते हैं कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के कितने बड़े आधार हैं। ये महर्षि वाल्मीकि ही थे, जिन्होंने हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया था। उन्होंने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया।" उन्होंने कहा, "रामायण का ये प्रभाव उसमें समाहित भगवान राम के आदर्शों और मूल्यों के कारण है।
भगवान राम ने सेवा, समरसता और करुणा से सबको गले लगाया था। इसीलिए हम देखते हैं कि महर्षि वाल्मीकि की रामायण के राम, माता शबरी और निषादराज के साथ ही पूर्ण होते हैं। इसीलिए अयोध्या में जब राम मंदिर का निर्माण हुआ तो साथ में निषादराज और महर्षि वाल्मीकि का भी मंदिर बनाया गया।" प्रधानमंत्री ने कला और संस्कृति की सीमाओं को पार करने वाली शक्ति का भी उल्लेख किया।
उन्होंने पेरिस के सांस्कृतिक संस्थान 'सौन्त्ख मंडपा' के 50 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई दी, जिसने भारतीय नृत्य को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस संस्थान की स्थापना मिलेना सालविनी ने की थी, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। पीएम ने संस्थान से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही, पीएम ने प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका के गीतों की वैश्विक पहुंच को रेखांकित किया। उन्होंने श्रीलंका में हुए एक सराहनीय प्रयास का जिक्र किया, जहां भूपेन हजारिका के गीत 'मनुहे-मनुहार बाबे' का श्रीलंकाई कलाकारों ने सिंहली और तमिल में अनुवाद किया है। इस दौरान उन्होंने दो ऑडियो क्लिप भी सुनाईं।