नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार को “अनुसंधान से असर तकः लैंगिक न्यायसंगत एवं लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाॅ. हिमांशु पाठक ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। डॉ. पाठक ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के संबंध में महिलाओं का नेतृत्व एवं निर्णय लेने की भूमिकाओं को मान्यता और बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति करेंगी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद रहेंगे। इस चार दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर सत्र आयोजित किये जाएगें जिन्हें कई विशेषज्ञ समेत जी -20 के शेरपा अमिताभ कांत भी संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में देश विदेश के लगभग 600 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन के सह आयोजक सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म की निदेशक डॉ. निकोलाइन डी हान ने कहा कि सम्मेलन में अनुसंधान और उपयोग के बीच का फासला दूर करने के लिए नवीन जानकारी का आदान-प्रदान किया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि दुनिया भर में कृषि-खाद्य प्रणालियों में लैंगिक असमानता बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है और कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों के कारण वर्तमान असमानताएं बदत्तर हो रही हैं। कुल मिलाकर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की खाद्य सुरक्षा कम है। इसलिए लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उचित रास्ते अपनायें जाने चाहिए।
डाॅ. पाठक ने कहा कि हर जगह महिलाओं को कृषि एवं खाद्य प्रणालियों में नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। यह उनका अधिकार है और वे इस मोर्चे पर बदलाव की अगुआई करें। खाद्य प्रणालियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इस आयोजन के दौरान 140 मौखिक प्रस्तुतियां, 85 पोस्टर, 25 उच्च स्तरीय परिपूर्ण एवं मुख्य वक्ता एवं 60 समानांतर सत्र होंगे। अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शक एवं भारतीय महिला उद्यमी अपना कार्य और नई खोज प्रदर्शित करेंगे।