मेरठ। विद्यालय शिक्षा का मंदिर हैं या मुनाफाखोरी के अड्डे?” यही सवाल लेकर मेरठ कांग्रेस कमेटी ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन भेजा है। निजी स्कूलों की बेलगाम फीस, महंगी किताबें और जबरन तय की गई यूनिफॉर्म की खरीददारी से अभिभावक हलकान हैं, और अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
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शहर के स्कूलों में नया सत्र शुरू होते ही अभिभावकों पर महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन मनमाने तरीके से किताबें और यूनिफॉर्म भी अपनी पसंदीदा दुकानों से खरीदने का दबाव बना रहे हैं।
कांग्रेसियों का आरोप है कि शिक्षा को मिशन नहीं, धंधा बना दिया गया “बेटी को पढ़ाना है या घर चलाना?”—यह दुविधा अब आम हो चली है। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष रंजन शर्मा की अगुआई में सौंपे गए ज्ञापन में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है कि शिक्षा को मिशन नहीं, धंधा बना दिया गया है। ज्ञापन में राज्यपाल से गुहार लगाई गई है कि इस ‘शैक्षिक शोषण’ पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही, न्यायिक निगरानी में फीस, यूनिफॉर्म और किताबों की व्यवस्था तय की जाए ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके। कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, तो जनता की आवाज़ को आंदोलन की शक्ल दी जाएगी। इस मौके पर जिला अध्यक्ष गौरव भाटी,कांग्रेस प्रवक्ता हरिकिशन अंबेडकर, नसीम सैफी, अरविंद तालियान, अमित गोयल आदि कांग्रेस नेता मौजूद रहे।