शामली। उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों का शोषण और अध्यापकों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ शिव सेना ने मोर्चा खोला। शिव सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने क्लक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकार से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की मांग की गई।
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ज्ञापन में कहा गया कि पिछले कई वर्षों से प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों से अत्यधिक शुल्क लिया जा रहा है, जिससे उनका शोषण हो रहा है। इसके साथ ही पब्लिकेशन कंपनियों द्वारा 60 प्रतिशत कमीशन लेकर महंगे दामों पर पाठ्यक्रम बेचे जा रहे हैं। शिव सेना के नेताओं का आरोप है कि बच्चे का एडमिशन होते ही अभिभावकों को एक निश्चित दुकान से पाठ्यक्रम, ड्रेस आदि खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके कारण उनकी जेब पर बोझ बढ़ता है। इसके अलावा, एक ही स्कूल में दूसरी कक्षा में प्रोन्नति के बाद भी अभिभावकों से एडमिशन फीस दोबारा वसूली जा रही है।
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ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी शोषण किया जा रहा है। जहां शिक्षकों को वेतन देने के नाम पर दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं, उन्हें 18 से 20 हजार रुपये के वेतन की रिसीविंग दी जाती है, लेकिन वास्तविक वेतन महज 5 से 7 हजार रुपये दिया जाता है।
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शिव सेना के पदाधिकारियों ने सरकार से यह भी मांग की है कि सभी प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अनिवार्य किया जाए और स्कूलों का पाठ्यक्रम समान किया जाए, ताकि अभिभावक किसी भी दुकान से अपने बच्चों का पाठ्यक्रम और ड्रेस स्वयं खरीद सकें। इसके अलावा, एक बार स्कूल में एडमिशन के बाद दूसरी कक्षा में एडमिशन फीस की वसूली का प्रावधान समाप्त किया जाए।
शिव सेना ने यह भी मांग की है कि राज्य में सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारा जाए और वहां आधुनिक शिक्षा पद्धतियां लागू की जाएं, ताकि अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों पर निर्भर न रहना पड़े। साथ ही, प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन शासनादेश के अनुरूप दिया जाए।