Wednesday, January 22, 2025

लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को दी नियमित जमानत

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा घटनाओं में कई किसानों की कथित हत्या मामले के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को सोमवार को नियमित जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने आशीष के अलावा इस घटना से संबंधित अन्य मामले के आरोपी किसानों को भी जमानत दे दी। अदालत साथ ही निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को लंबित अन्य जरूरी मामलों को ध्यान में रखते हुए इस मामले की सुनवाई प्राथमिकता से करने का भी निर्देश दिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 03 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले में केंद्र के तीन कृषि कानूनों (जिन्हें किसानों के भारी विरोध के बाद में वापस ले लिया गया था) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने के बाद चार किसानों सहित आठ लोगों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।

इस मामले में किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि आरोपी आशीष मिश्रा के वाहन ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह को कुचल दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में अपने आदेश में आरोपी मिश्रा को दी गई अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी थी। पीड़ितों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दावा किया कि आरोपी मिश्रा शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित जमानत शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आरोपी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहा और मामले में शीर्ष अदालत द्वारा लगाई गई अपनी जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए विभिन्न समारोहों में भाग ले रहा है।

दूसरी ओर, आरोपी मिश्रा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने इसका खंडन करते हुए दावा किया, “उनके मुवक्किल द्वारा किसी तरह से शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है।” उन्होंने कहा कि कोई कथित खतरा नहीं है, क्योंकि आरोपी के पिता लोकसभा चुनाव हार गए थे। आरोपी मिश्रा को इस मामले में पहली बार 09 अक्टूबर-2021 को गिरफ्तार किया गया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद वह 15 फरवरी 2022 को जेल से बाहर आया। जनवरी 2023 में शीर्ष अदालत ने उन्हें मामले में आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी। साथ ही जेल से रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर उन्हें उत्तर प्रदेश छोड़ने का भी निर्देश दिया था। निचली अदालत पहले ही मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर चुकी है।

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