Thursday, April 17, 2025

संभल में बुलडोजर चलाने वाले अफसरों पर सुनवाई से सुप्रीमकोर्ट ने किया इंकार, हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने संभल में संपत्तियों को ढ़हाने के फैसले का कथित तौर पर उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली एक याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

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न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता से कहा कि वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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पीठ ने कहा, “हमें लगता है कि इस मुद्दे को संबंधित अधिकार क्षेत्र वाला उच्च न्यायालय द्वारा ही सबसे बेहतर तरीके से निपटान किया जा सकता है। इसलिए, हम याचिकाकर्ता को अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता देते हुए वर्तमान याचिका का निपटारा करते हैं।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि 13 नवंबर, 2024 के अपने फैसले में उसने स्वतंत्रता दी थी कि यदि कोई उल्लंघन होता है, तो अधिकार क्षेत्र वाला उच्च न्यायालय शिकायत पर विचार करने का हकदार होगा।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल में बिना नोटिस के बुलडोजर एक्शन पर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।

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संभल निवासी मोहम्मद गयूर  ने दायर याचिका में कहा था कि 10 और 11 जनवरी के बीच संभल स्थित उसकी एक संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि 10 और 11 जनवरी के बीच संभल के बेहजोल रोड स्थित तिवारी सराय की उसकी संपत्ति को बिना कोई नोटिस दिए ही ढहाना सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

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इससे पहले 13 नवंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि अगर कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी आरोपी या दोषी का घर ध्वस्त कर दिया जाता है, तो उसका परिवार मुआवजे का हकदार होगा। साथ ही मनमाने ढंग से या अवैध तरीके से काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कार्यपालिका न्यायाधीश बनकर किसी आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त करने का निर्णय नहीं ले सकती। न्याय करने का काम न्यायपालिका का है। कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। कोर्ट ने कहा था कि किसी का घर उसकी उम्मीदें है। हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छीने और हर एक का सपना होता है कि उसके पास आश्रय हो।

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