Thursday, November 21, 2024

सुप्रीम कोर्ट लोकसभा, विधानसभाओं में एससी/एसटी को आरक्षण बढ़ाने के सवाल पर करेगा विचार

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को अगले 10 सालों तक आरक्षण बढ़ाने का प्रावधान करने वाले संविधान के 104वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता पर विचार का बुधवार को फैसला किया।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पारदरीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आरक्षण बढ़ाने के प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए 21 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।

पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वह पहले के संशोधनों के माध्यम से एससी/एसटी आरक्षण के लिए दिए गए पिछले विस्तार की वैधता पर विचार नहीं करेगी।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार करेगी कि क्या संविधान (104वां संशोधन) अधिनियम 2019 असंवैधानिक है और क्या अनुच्छेद 334 के तहत आरक्षण की अवधि की समाप्ति के लिए निर्धारित अवधि को बढ़ाने के लिए संशोधन की घटक शक्तियों का प्रयोग संवैधानिक रूप से वैध है।

यह सवाल संविधान के अनुच्छेद 334 से उत्पन्न हुआ, जिसमें प्रावधान था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी/एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण संविधान के प्रारंभ होने के 10 साल बाद प्रभावी नहीं होगा। हालाँकि, बार-बार संशोधन करके आरक्षण की अवधि बढ़ाई गई।

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