मेरठ। श्री सनातन धर्म रक्षिणी सभा में श्री रामलीला कमेटी पंजीकृत मेरठ शहर द्वारा बुढ़ाना गेट स्थित जिमखाना मैदान में रामलीला का मंचन किया गया।
लीला मंचन के उद्धघाटनकर्ता गुरप्रीत सिंह शेखों, विनीत अग्रवाल शारदा द्वारा किया गया , मुख्य पूजनकर्ता ऋषि अग्रवाल, शिव कुमार गुप्ता, शांति स्वरूप गुप्ता रहे, प्रसाद सेवा राजेश अग्रवाल के द्वारा की गयी। विशेष उपस्थिति डॉ संजय गुप्ता वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट की रही। सभी उपस्थित पदाधिकारी सदस्य द्वारा पूजा अर्चना कर लीला मंचन प्रारंभ किया गया । आज के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सत्यप्रकाश अग्रवाल पूर्व विधायक मेरठ कैंट रहे।
भव्य रामलीला मंचन में पंचवटी की लीला का मंचन हुआ। मुख्य घटनाओं में सूर्पनखा का आगमन और नाक छेदन, खर-दूषण वध तथा रावण द्वारा शिव पूजन की झांकियों ने हजारों दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
मंचन की शुरुआत पंचवटी के सुंदर दृश्य से हुई।
भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण को देखकर रावण की बहन सूर्पनखा मोहिनी रूप में वहाँ पहुँची। उसने राम से विवाह का प्रस्ताव रखा। प्रभु श्रीराम ने मर्यादा निभाते हुए स्वयं को विवाहित बताया और उसे लक्ष्मण के पास भेजा। लक्ष्मण ने भी प्रस्ताव ठुकरा दिया।
बार-बार उपेक्षा से क्रोधित होकर जब सूर्पनखा अपने असली राक्षसी रूप में प्रकट हुई तो माता सीता भयभीत हो उठीं। प्रभु श्रीराम के संकेत पर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। इस दृश्य पर पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा।
"एक पत्नी व्रत धर्म बल, मर्यादा के नायक।
राम सदा दिखलाते हैं, नीति मार्ग केायक।।"
अर्थ – श्रीराम ने एक पत्नी व्रत धर्म की स्थापना की और नीति-धर्म को सर्वोपरि रखा।
नाक कटी सूर्पनखा रोती-चिल्लाती अपने भाई खर-दूषण के पास पहुँची और अपमान की कथा सुनाई। क्रोधित होकर दोनों भाई अपनी सेना सहित युद्ध के लिए तैयार हुए। मंच पर श्रीराम और खर-दूषण के बीच हुआ भीषण युद्ध देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। बाणों की वर्षा, युद्ध घोष और ध्वनि प्रभाव से पूरा वातावरण रामायणकालीन प्रतीत हुआ। अंततः प्रभु श्रीराम के तीक्ष्ण बाणों से खर-दूषण और उनकी पूरी सेना का वध हुआ।
"राम बाण लागे तिन, गिरे भूमि सब साथ।
धरा डोलि उठी तब, गूँज उठा जगनाथ।।"
अर्थ – श्रीराम के बाण लगते ही खर-दूषण भूमि पर गिरे और धरती डोल उठी।
रावण का शिवलीला का समापन रावण के शिव पूजन प्रसंग से हुआ। रावण ने भगवान शिव की आराधना कर बल प्राप्त किया, परंतु उसका प्रयोग अधर्म के लिए किया। इस दृश्य ने दर्शकों को विचार करने पर विवश कर दिया कि शक्ति का दुरुपयोग विनाश का कारण बनता है।
"रावण गाैरी शंकरहि, करि तप बल संधान।
मांगहि वर विभीषणहि, करहि कर्म अज्ञान।।"
अर्थ – रावण ने शिवजी की तपस्या से बल प्राप्त किया, परंतु अधर्म में उसका प्रयोग किया।
आज के मंचन में विशेष आकर्षण युद्ध के दृश्य और ध्वनि-प्रकाश का संयोजन रहा। दर्शक बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह बढ़ाते रहे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी ने इस लीला का आनंद लिया और ऐसा अनुभव किया मानो वे रामायण काल में पहुँच गए हों।
अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने बताया कल सीता हरण, जटायु शरणागति, शबरी मिलन का लीला मंचन होगा।
इस कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष मनोज गुप्ता राधा गोविंद मंडप, मनोज अग्रवाल , आलोक गुप्ता, योगेन्द्र अग्रवाल, संयोजक जिमखाना राजन सिंघल, लोकेश शर्मा, विपिन अग्रवाल, युवा टोली प्रमुख एडवोकेट मनीष गुप्ता, महिला टोली प्रमुख नूपुर जौहरी, अमित गुप्ता, मयंक अग्रवाल सहित भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।