Monday, April 14, 2025

शासको के लिए आज भी आदर्श हैं विक्रमादित्य- उपराष्ट्रपति

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि महाराजा विक्रमादित्य ने अपने शासन काल में कला संस्कृति, साहित्य और विज्ञान के विकास को संरक्षण और संवर्धन के साथ जो मूल्य स्थापित किए, कालान्तर में वे ही भारत की सांस्कृतिक आदर्श एवं पहचान बने।

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उपराष्ट्रपति धनखड़ शनिवार शाम यहां लाल किला परिसर स्थित माधौदास पार्क में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री मोहन यादव, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी उपस्थित थे।

 

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उपराष्ट्रपति एवं अन्य अतिथियों ने इस तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 14 अप्रैल तक लगातार जारी रहेगा।

 

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उपराष्ट्रपति धनखड़़ ने कहा कि हमारी संस्कृति एक मिसाल है कि भारतीय जीवन मूल्यों के साथ जीवन कितना सहज और सरल हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में राष्ट्र के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमारा देश बदल रहा है। भारत में भूतल की गहराई से आकाश की ऊंचाइयों तक हर तरफ विकास ही विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता से भारत की पुरानी प्रतिष्ठा पुनर्स्थापित और जीवंत हो रही है। उन्होंने कहा कि भाषा हमारी सांस्कृतिक चेतना की धुरी है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रसार और भारतीय ज्ञान परम्पराओं पर आधारित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।

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उपराष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में किए जा रहे इस महा आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बधाई और साधुवाद देते हुए कहा कि केंद्र एवं दिल्ली सरकार के साथ मिलकर यह सिलसिला आगे भी जारी रहना चाहिए। हमें हमारी संस्कृति के संवर्धन के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए और उन्हें खुशी है कि मध्यप्रदेश में यह काम बड़ी ही लगन और कुशलता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना है और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के भी प्रयास हमें करना चाहिए।

 

कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी डॉ. श्रीमती सुदेश धनखड़, मप्र के प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव आनंद विभाग राघवेंद्र कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार डा. श्रीराम तिवारी, डॉ अतुल जैन सहित मध्यप्रदेश एवं दिल्ली सरकार के मंत्रीगण, विधायकगण तथा विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के 250 से अधिक कलाकारों सहित बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश एवं दिल्ली के कलाप्रेमी नागरिकगण उपस्थित थे।

 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्राट वीर विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास का गौरवशाली काल बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को सहेजने और संवारने में विक्रमादित्य का अमिट योगदान है। उन्होंने सिर्फ़ शासन को सुशासन की व्यवस्था में बदला। वे अदम्य साहस, धीरता वीरता और संवेदनशीलता के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी प्रजा को कर्जमुक्त किया। वे अनेकानेक गुणों से युक्त थे। गरीबों, लाचारों, वंचितों को उनका हक दिलाने की प्रेरणा हमें सम्राट वीर विक्रमादित्य से ही मिलती है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए सदैव स्तुत्य रहेंगे। उन्होंने हमें जनता की सेवा की सीख दी है। वे अपनी प्रजा का सुख-दुख देखने के लिए भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे। उनकी यह संवेदनशीलता बताती है कि प्रजा के सुख में ही शासक का सौख्य है।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति सदैव समृद्ध रही है और आगे भी रहेगी। हमारी संस्कृति मां गंगा की अविरल धारा की तरह लगातार बहती रहेगी। हमें अपने गौरवशाली अतीत पर नाज है और यह भावना हमें नई पीढ़ी तक भी पहुंचानी है। देश की राजधानी दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के मूल में हमारी यही मंशा है। उन्होंने सभी से इस आयोजन का लाभ उठाकर अपने इतिहास के गौरवशाली काल को देखने, समझने और आनंद लेने की अपील की।

 

 

केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन देश के इतिहास को जीवंत करने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी मजबूती प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल भारत के सांस्कृतिक उत्कर्ष का उच्चतम समय था। उनके शासन पर आधारित महानाट्य का मंचन विक्रमादित्य के उस स्वर्णिम युग का मंचन है। वे ज्ञान, विज्ञान कौशल के पोषक और वीरता की मिसाल थे। वे आदर्श शासक थे। उन्होंने अपने नवरत्नों के जरिए भारत की संस्कृति को उच्चतम स्तर पर ले जाने का प्रयास किया। वीर विक्रमादित्य के शासनकाल का मंचन एक नई धारा है, एक नया सोपान है, जिसका आगाज मध्यप्रदेश सरकार ने किया है। उन्होंने इस पहल के लिए मुख्यमंत्री डॉ यादव को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

 

 

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार जताया। उन्होंने कहा कि डॉ. यादव ने दिल्ली की जनता को विक्रमादित्य के चरित्र और शौर्य को देखने और समझने का अवसर दिया है। दिल्लीवासियों का परम सौभाग्य है कि आज ये दिन दिल्ली को देखने को मिला। सौभाग्य की बात है कि शौर्य और पराक्रम के प्रतीक सम्राट विक्रमादित्य पर महानाट्य मंचन यहां हो रहा है। दिल्लीवासी आज इतिहास से रुबरू हो रहे हैं। वे सम्राट विक्रमादित्य के चरित्र को अपनी आंखों से देख रहे हैं।

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सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 13 एवं 14 अप्रैल को भी होगा। इसमें 250 कलाकार सम्राट विक्रमादित्य की जीवन गाथा को जीवंत कर रहे हैं। इस महानाट्य के दृश्यों को सजीव बनाने के लिए पालकी, रथ, घोड़ों और एलईडी ग्राफिक्स के स्पेशल इफेक्ट का प्रयोग किया जा रहा है। कार्यक्रम में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा ‘विक्रमादित्यकालीन मुद्रा और मुद्रांक’ की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें 100 से अधिक ऋषियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है। जनसम्पर्क विभाग द्वारा ‘मध्यप्रदेश का विकास एवं उपलब्धियां’ विषय पर और पर्यटन एवं उद्योग विभाग द्वारा भी प्रदर्शनियां भी यहां लगाई गई हैं।

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