मेरठ। मेरठ परिक्षेत्र के उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि गन्ना आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार गन्ना किसानों द्वारा गन्ना बुवाई के लिए बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति द्वारा उप्र के लिए गन्ना किस्में अधिसूचित करने की व्यवस्था है। अन्य प्रदेशों से लायी गयी वे किस्में जो प्रदेश में सक्षम समिति द्वारा स्वीकृत नहीं हैं और जिनका परीक्षण उप्र के शोध संस्थानों में नहीं हुआ है। उनका उत्पादन प्रतिबंधित है। ऐसी किस्मों के उत्पादन में कीट एवं बीमारियों के प्रकोप की संभावना है। जिससे उप्र में स्वीकृत किस्मों में उन बीमारियों के संक्रमण की संभावना बन जाती है।
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उन्होंने बताया कि विगत कुछ सालों में गन्ना किस्म 0238 की उत्पादकता में गिरावट एवं रोग ग्राह्यता के कारण अधिक उत्पादन देने वाली गन्ना किस्मों के बीज की मांग बढी है। जिसके चलते कुछ बीज गन्ना उत्पादक प्रदेश सरकार द्वारा रिलीज़ की गई गन्ने की ऐसी नवीन किस्में जिनका बीज वितरण अभी शुरू नहीं के नाम पर अन्य छद्म गन्ना किस्मों का उच्च दर पर विक्रय कर रहें हैं। किसानों से मनमाने दाम वसूल रहे हैं। जिस कारण प्रदेश की गन्ना किस्मों की शुद्धता प्रभावित होने की सम्भावना है।
उप गन्ना आयुक्त ने कहा कि अगर कोई बीज गन्ना उत्पादक कृषक, सरकार द्वारा स्वीकृत दरों से अधिक दर पर विक्रय करता है तो उसके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी के साथ उसका पंजीकरण निरस्त करने, आर्थिक दण्ड लगाने व एफआईआर दर्ज कराकर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने गन्ना किसानों से अपील की है कि ऐसे बीज माफियाओं के सम्बन्ध में वो गन्ना विभाग के टोल फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर सूचना दे सकते हैं। परिक्षेत्र के सभी जिला गन्ना अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह उप्र गन्ना शोध परिषद में पंजीकृत बीज गन्ना उत्पादक कृषकों के भौतिक सत्यापन कर आवश्यक कार्यवाही करें।
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यह भी देखा जा रहा कि कुछ कृषक सोशल मीडिया पर अन्य प्रदेशों की वे किस्में जो उ.प्र. में स्वीकृत नहीं है, के सम्बन्ध में लुभावने पोस्ट डाल कर गन्ना किसानों को आकर्षित कर उच्च दरों पर उन किस्मों को बेच रहे है। ऐसे लोगों के सम्बन्ध में विभाग द्वारा जानकारी एकत्र की जा रही है जिससे कि साइबर एक्ट/बीज अधिनियम के तहत इनके विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।