संसार का प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति अपना भविष्य शुभ और उज्जवल बनाने की इच्छा रखता है। वह उज्जवल बनेगा कैसे? शुभ और उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए सीधा सरल मार्ग है वर्तमान को शुभ बनाना। प्रत्येक मनुष्य का वर्तमान जीवन अतीत का ऋणी है और भविष्य का आधार। वर्तमान के शुभत्व में अतीत का योगदान तो अवश्य है, परन्तु केवल अतीत के आधार पर जीवन जीना विकास और प्रगति के रास्ते बंद करना है और केवल भविष्य के सपनों के आधार पर जीना शेखचिल्ली बनना है। अतीत और भविष्य दो छोर हैं और दोनों के मध्य वर्तमान है। अतीत से बेहतर वर्तमान को बनाया जाये तो भविष्य का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। वर्तमान की स्वस्थता भविष्य के स्वास्थ्य का संकेत है। भूतकाल जो बीत चुका है वह लौटेगा नहीं। उसके विषय में सोच-सोचकर और कल (भविष्य) जो अभी आया नहीं, उसके प्रति आशंकित होकर हम वर्तमान के स्वास्थ्य को बिगाड़ देते हैं। हमारी कमजोरी कहे अथवा हमारी भूल हमारा मन या तो भूतकाल में रहता है अथवा भविष्य में खोया रहता है, जिसका प्रभाव हमारे वर्तमान पर पड़ता है। इसलिए भूतकाल और भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान में जियो, वर्तमान को संवारों तो भविष्य स्वत: ही संवर जायेगा, वर्तमान को संवारे बिना उज्जवल भविष्य की कल्पना करना व्यर्थ है, बेमानी है, निरर्थक है।